भारत में बनी गाड़ियों की मांग दुनियाभर के देशों में तेजी हो रही है। इसके चलते गाड़ियों के निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है। विदेशी बाजारों में यात्री, दोपहिया और वाणिज्यिक वाहनों की मजबूत मांग के चलते वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कुल वाहन निर्यात 19 प्रतिशत बढ़कर 53.63 लाख इकाई तक पहुंच गया। पिछले वर्ष यह आंकड़ा 45 लाख इकाई था। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, बीते वित्त वर्ष में कुल 53,63,089 वाहन निर्यात किए गए, जो 2023-24 के 45,00,494 इकाई की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। सियाम के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में यात्री वाहनों का निर्यात 15 प्रतिशत बढ़कर 7,70,364 इकाई हो गया, जबकि 2023-24 में यह 6,72,105 इकाई था।
यात्री वाहनों में रिकॉर्ड निर्यात
यात्री वाहनों का निर्यात 15 प्रतिशत बढ़कर 7,70,364 इकाई रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 6,72,105 इकाई था। सियाम के अनुसार, भारत में निर्मित वैश्विक मॉडल की मजबूत मांग और उत्पादन गुणवत्ता में सुधार की वजह से कुछ कंपनियों ने विकसित देशों में भी निर्यात शुरू किया है। यूटिलिटी वाहनों के निर्यात में 54 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो 2,34,720 इकाई से बढ़कर 3,62,160 इकाई तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2023-24 के 2,34,720 इकाई की तुलना में यह 54 प्रतिशत की वृद्धि है।
टू-व्हीलर के निर्यात में बड़ा उछाल
पिछले वित्त वर्ष में टू-व्हीलर का निर्यात 21 प्रतिशत बढ़कर 41,98,403 इकाई रहा, जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा 34,58,416 इकाई था। सियाम ने कहा कि नए मॉडल और नए बाजारों ने दोपहिया वाहनों के निर्यात के दायरे को बढ़ाने में मदद की है। इसके अलावा अफ्रीकी क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता और लातिनी अमेरिका में मांग ने इस वृद्धि को समर्थन दिया है। वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 2024-25 में तिपहिया वाहनों के निर्यात में दो प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 3.1 लाख इकाई रहा। पिछले वित्त वर्ष में वाणिज्यिक वाहनों का निर्यात 23 प्रतिशत बढ़कर 80,986 इकाई रहा, जबकि इससे पिछले साल यह 65,818 इकाई था।
भविष्य को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण
सियाम का मानना है कि अफ्रीका और भारत के पड़ोसी देशों में ‘मेड इन इंडिया’ वाहनों की मांग बढ़ती रहेगी। सियाम अध्यक्ष शैलेश चंद्रा ने कहा, “निर्यात के मोर्चे पर सभी वर्गों में विशेष रूप से यात्री और दोपहिया वाहनों में अच्छा सुधार देखा गया है। यह न केवल वैश्विक मांग में तेजी को दर्शाता है, बल्कि भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में भी वृद्धि का संकेत है।”
