भारत के राष्टगान में द्राविड़, उत्कल से किस राज्य का है संबंध, जवाब देने में धुरंधर भी खा जाएंगे मात
भारत का राष्ट्रगान यहां की पहचान है। जब भी किसी अन्य देश में खेल का क्षेत्र हो या फिर कोई भी अन्य क्षेत्र हो जीत हासिल होती है, तो भारत का राष्ट्रीय गान बजाया जाता है। जिसके सम्मान में सभी लोग खड़े हो जाते हैं। भारत के सभी स्कूलों में प्रेयर के दौरान राष्ट्रगान गया जाता है। गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बिना राष्ट्रगान के कार्यक्रम की शुरुआत नहीं की जाती है। इस गाने में भारत की एकता से लेकर नदी और प्रति तक का उल्लेख किया गया है।
जिसका प्रारंभ जन गण मन से होता है। जिसे रवींद्रनाथ टैगोर ने बंगाली भाषा में लिखा था, लेकिन बाद में इसे हिंदी में अनुवाद कर लिया गया। संविधान में इसे 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान के रूप में मान्यता दी गई।
द्राविड़, उत्कल, बंग का अर्थ
जन गण मन में एक पंक्ति में द्राविड़, उत्कल, बंग का नाम भी आता है। यह सभी किसी न किसी राज्य के नाम से जुड़ा हुआ है। इसके बहुत सारे अर्थ लोगों को मालूम भी है, लेकिन द्राविड़, उत्कल, बंग का नाम सुनते ही लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि आखिर इसका मतलब क्या है, तो आज के आर्टिकल में हम आपको राष्ट्रगान में आने वाले कुछ शब्दों का मतलब बताएंगे। इसका मतलब पता होना सामान्य ज्ञान के लिहाज से भी जरूरी है। कई बार इस प्रकार के सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछ लिए जाते हैं।
जानें मतलब
दरअसल, जन गण मन की एक पंक्ति में द्राविड़ शब्द इस्तेमाल दक्षिण भारत के लिए किया गया है। इसका अर्थ दक्षिण के सभी राज्यों से जुड़ा है। वहीं, भारत के राष्ट्रगान में उत्कल शब्द का अर्थ उड़ीसा राज्य है, जहां की परंपरा काफी अलग व अनोखी है, जबकि बंग का अर्थ बंगाल है। इन अर्थों को इन्हीं तीन शब्दों में समायोजित किया गया है। बता दें कि राष्ट्रगान में बहुत सारी नदियों का भी जिक्र किया गया है, जैसे- युमना, गंगा आदि। जिसके बारे में लोग आसानी से समझ जाते हैं, लेकिन कुछ शब्द ऐसे भी हैं जिन्हें समझने में काफी कठिनाई आती है।
बनाया गया है ये नियम
हालांकि, इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपका यह कंफ्यूजन पूरी तरह से दूर हो जाएगा और जब भी आपसे कोई ऐसा सवाल पूछे तो आप उसका फटाफट जवाब दे पाएंगे। बता दें कि राष्ट्रगान को गाने में कुल 52 सेकेंड्स का समय लगता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहली बार भारत का राष्ट्रगान 27 दिसंबर साल 1911 में कोलकाता में गाया गया था। इसे लेकर कानूनी नियम भी बनाए गए हैं। जिसका पालन ना करने और इसका अपमान करने पर प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 की धारा 3 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
