भिवानी। हरियाणा में भिवानी के बहल में बारिश के बाद मौसम में आई नमी से ग्वार की फसल में बैक्टीरियल ब्लाइट रोग उभर कर आ रहा है। इस क्षेत्र में कई बार बारिश आने और मौसम में नमी बढऩे से किसानों को चिंता में डाल दिया है। ग्वार फसल में कीटों व फंगस की बीमारियों के उपाय के बारें में कृषि वैज्ञानिकों व कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह पर दवाई खरीदें। यह भी देखा गया कि काफी किसान जब बीमारी का प्रकोप बढ़ जाता है, उस समय स्प्रे करने की सोचते हैं। लेकिन तब तक उन्हें काफी नुकसान हो चुका होता है।ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बीडी यादव ने किसानों को बताया कि ग्वार की बीमारियों की रोकथाम के लिए 30 ग्राम स्ट्रैप्टोसाईक्लिन व 400 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराईड को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। अगर इन बीमारियों के साथ हरा तेला व सफेद कीड़ों का प्रकोप हो तो उसकी रोकथाम के लिए 250 मिली मैलाथियोन-50 ईसी या डाइमेथोएट (रोगोर) 30 ईसी प्रति एकड़ उपरोक्त घोल में मिलाकर पहला छिडक़ाव बिजाई के 40-45 दिन पर तथा अगला स्प्रे इसके 12-15 दिन अंतराल पर करें।बहल में किसानों को ग्वार फसल को बीमारी से बचाने का उपाय बताते डॉ. बीडी यादव।आल्टरनेरिया लीफ स्पोट बीमारी ग्वार फसल की दूसरी मुख्य बीमारी है। इस रोग में पत्तियों पर छोटे गहरे, भूरे गोल आकार के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। यह धब्बे आकार में तेजी से बढ़ते हैं और गहरे भूर रंग के हो जाते हैं। सक्रंमित फलियों में भूरे रंग के छोटे एवं सिकुड़े बीज हो जाते हैं। मौसम में अधिक तापमान होने पर यह रोग आता है।पिछली साल यह रोग काफी देखने को मिला और इससे फसल की पैदावार पर काफी नुकसान हुआ। इस बार के मौसम को देखते हुए इस बीमारी का अनुकूल वातावरण बनने से इस बीमारी के लक्ष्ण किसानों को अपने खेतों में जब भी नजर आने लगे। इस रोग की रोकथाम के लिए 400 ग्राम डाइथेन एम-45 (मेन्कोजैब) दवाई को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

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