- mahakal ujjain darshan: सावन के महीने में मध्य प्रदेश में महाकाल की नगरी यानी उज्जैन में भक्तों तांता लगने वाला है। मंदिर सदियों पुराना है और इस मंदिर के कुछ रहस्य हैं जो आज भी चौंकाने वाले हैं।
महाकाल मंदिर उज्जैन
सावन के महीने में मध्य प्रदेश में महाकाल की नगरी यानी उज्जैन में भक्तों तांता लगने वाला है। मंदिर सदियों पुराना है और इस मंदिर के कुछ रहस्य हैं जो आज भी चौंकाने वाले हैं। भगवान शिव का यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं, जो सदियों से चली आ रही हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां बाबा का आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति जन्म मरण से छूटकर मोक्ष को प्राप्त करता है।
कोई राजा यहां नहीं रुकता एक रात
महाकाल की नगरी उज्जैन में रात में कोई राजा नहीं रुकता। ऐसा कहा जाता है कि यहां के राजा महाकाल हैं। जो राजा यहां रुकता है, उसका राजपाठ सब नष्ट हो जाता है या फिर उसकी मौत हो जाती है। इन बातों का कितना आधार है, यह तो हम नहीं जानते, लेकिन अभी अभी यहां आप इन बातों को सुन सकते हैं। महाकाल के अलावा केवल विक्रमादित्य ही ऐसे राजा थे जो उज्जैन में रात विश्राम किए हैं। इसके अलावा किसी राजा ने यहां रात नहीं बताई है।
भगवान शिव की भस्म आरती क्यों, क्या है मान्यता
मान्यता के अनुसार दूषण नाम के एक राक्षस के कारण अवंतिका में आंतक हुआ करता था।नगर के लोगों ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह नष्ट हो जाए, इस पर भगवान ने उसको भस्म कर दिया है और उसकी राख से अपना श्रृंगार कर लिया। इसके बाद शिवजी वहीं महाकाल के रूप में बस गए। इसी कारण से इस मंदिर का नाम महाकालेश्वर रख दिया गया। इसी वजह सेशिवलिंग की भस्म से यहां आरती होने लगी।शिवपुराण के अनुसार कहा जाता है कि भस्म सृष्टि का सार है। एक दिन पूरी दुनिया भस्म में बदल जाएगी और इसी को भगवान शिव सदैव धारण किए रहते हैं। इसका अर्थ है कि एक दिन यह संपूर्ण सृष्टि शिवजी में विलीन हो जाएगी। भस्म तैयार करने के लिए प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया जाता है।

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