महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। भाजपा के लिए यहां सत्ता बचाने की चुनैती है। इसके लिए भगवा पार्टी हर मोर्चे पर काम कर रही है। हाल के दिनों में चुनावी राज्य में कई विकास के काम का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया। इसके साथ ही भाजपा महाराष्ट्र में जातियों को साधने की कोशिश भी कर रही है। ओबीसी के साथ-साथ दलितों को अपने पाले में करने के लिए अपने तमाम नेताओं को झोंक रखा है।
महाराष्ट्र के बीड जिले में दशहरा रैली को संबोधित करते हुए भाजपा नेता पंकजा मुंडे ने कहा, “पिछड़ों ने मुझे वह बनाया है जो मैं हूं और मैं गोपीनाथ मुंडे की बेटी हूं।” उन्होंने पिछड़ों से अपनी ताकत दिखाने का आह्वान भी किया। ठीक उसी समय पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू महाराष्ट्र में बौद्ध दलित समुदाय के नेताओं के साथ बैठकें कर रहे थे। ये बैठकें महाराष्ट्र में पिछड़ों और दलितों के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करने और बढ़ाने के लिए भाजपा की चाल को दर्शाती हैं।
पंकजा मुंडे ने बीड में एक दशक से अधिक समय के बाद अपने चचेरे भाई धनंजय मुंडे के साथ मंच साझा किया है। पंकजा को मराठवाड़ा में भाजपा के ओबीसी चेहरे के रूप में देखा जाता है। पार्टी ने रिजिजू को बौद्ध दलितों, खासकर विदर्भ क्षेत्र में पैठ बनाने के लिए तैनात किया है। महाराष्ट्र में कुल एससी मतदाताओं में दलित बौद्धों की संख्या 50% से अधिक है। यह वर्ग आमतौर पर कांग्रेस या प्रकाश अंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ रहा है।
अब तक रिजिजू ने सौ से ज्यादा बैठकें की हैं और महाराष्ट्र में समुदाय के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की है।

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