मेट्रो शहरों में रहते हैं तो हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम ज्यादा देना होगा, जानें क्यों कंपनियां लेती है अधिक पैसा
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम तेजी से बढ़ा है। इसके चलते हाल के दिनों में बहुत सारे लोगों ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को कैंसिल करा दिया है। वहीं, बहुत सारे लोगों ने किसी दूसरी कंपनी में अपनी पॉलिसी को पोर्ट कराया है। इस बीच क्या आपको पता है कि कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की प्रीमियम की गणना शहर के आधार पर करती है। अगर नहीं तो हम आपको बता रहे हैं। अगर आप मेट्रो शहर में रह रहे हैं तो आपको अधिक प्रीमियम चुकाना होगा। वहीं छोटे शहरों में रहने वाले को कम प्रीमियम देना होगा। ऐसा क्यों आइए जानते हैं।
सिर्फ उम्र के आधार पर प्रीमियम तय नहीं
बीमा प्रीमियम सिर्फ आपकी उम्र, मेडिकल इतिहास या बीमा राशि पर तय नहीं होती है। यह उस चीज़ पर भी निर्भर करता है जिस पर आपने शायद विचार नहीं किया हो। बीमा विशेषज्ञ निखिल झा ने X पर लिखा है कि आप कहां रहते हैं, इसके आधार पर भी हेल्थ इंश्योरेंस प्रीसिमय तय होता है। प्रीमियम तय करने में शहर की बहुत बड़ी भूमिका होती है। भारत में, बीमाकर्ता स्थानों को जोखिम-आधारित क्षेत्रों में विभाजित करते हैं, और आपका क्षेत्र सीधे तौर पर स्वास्थ्य पॉलिसी के लिए आपके द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमत को प्रभावित करता है – भले ही कवरेज वही रहे।
मेट्रो शहरों में ज्यादा प्रीमियम
झा के अनुसार, “दिल्ली में रहने वाला व्यक्ति को छोटे शहर में रहने वाले व्यक्ति से कहीं अधिक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ सकता है। इंश्योरेंस कंपनियां स्वास्थ्य लागत, दावा और चिकित्सा खर्च के आधार पर शहरों को तीन जोन में वर्गीकृत करती है।
- जोन ए (सबसे ज्यादा प्रीमियम): दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे मेट्रो शहर
- जोन बी: टियर-1 और टियर-2 शहर
- जोन सी (सबसे कम प्रीमियम): टियर-3 शहर और ग्रामीण क्षेत्र
अंतर क्यों मायने रखता है?
- मेट्रो में स्वास्थ्य सेवा ज्यादा महंगी है, इसलिए दावा राशि आम तौर पर ज्यादा होती है।
- शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के कारण ज्यादा दावे किए जाते हैं।
- शहरों में ज्यादा जोखिम के कारण बीमाकर्ताओं के लिए अंडरराइटिंग महंगी हो जाती है।
