म्यूल खाते वो बैंक अकाउंट होते हैं जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधी चोरी किए गए पैसों को छिपाने या आगे ट्रांसफर करने के लिए करते हैं। यह खाते आम लोगों के नाम पर होते हैं, जो लालच या अनजाने में अपने बैंक डिटेल्स किसी अन्य को दे देते हैं। साइबर ठग इन खातों में पहले ठगी के पैसे ट्रांसफर करते हैं और फिर उन्हें अलग-अलग खातों में भेजकर पैसों का ट्रैक मिटा देते हैं। इससे असली ठग तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। कई बार ये खाते इतने चेन में जुड़े होते हैं कि जांच एजेंसी के लिए धोखाधड़ी का रास्ता ट्रेस करना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
दरअसल साइबर अपराधी अक्सर उन लोगों को निशाना बनाते हैं जो बैंकिंग या इंटरनेट की तकनीक से कम वाकिफ होते हैं जैसे ग्रामीण इलाकों के लोग, बुजुर्ग या कम पढ़े-लिखे युवा। उन्हें फोन कॉल, सोशल मीडिया या नकली नौकरी के बहाने झांसे में लेकर उनके नाम पर अकाउंट खुलवाए जाते हैं या पहले से बने खाते का एक्सेस मांगा जाता है।
पैसों का लालच दिया जाता है
वहीं बदले में थोड़े पैसे या सुविधा का लालच दिया जाता है। इसके बाद जब कोई शिकार धोखाधड़ी का शिकार होता है, तो उसका पैसा सीधे इन म्यूल खातों में पहुंचता है और वहां से आगे निकल जाता है। इससे असली ठग को पकड़ना मुश्किल हो जाता है और बेगुनाह खाता धारक पुलिस और बैंकिंग कार्रवाई में फंस जाता है। सरकारी एजेंसियों ने ऐसे लाखों मामलों को ट्रैक किया है जिनमें म्यूल खातों का नेटवर्क देशभर में फैला हुआ था। सिर्फ कुछ महीनों में ही करीब 19 लाख संदिग्ध खातों की पहचान हुई है और करोड़ों रुपये के फर्जी ट्रांजैक्शन रोके गए हैं। यह दिखाता है कि म्यूल अकाउंट आज साइबर क्राइम की सबसे बड़ी कड़ी बन चुके हैं।
कैसे रखें खुद को सुरक्षित
दरअसल सरकार अब म्यूल अकाउंट की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर रही है। गृह मंत्रालय ने हाल में जानकारी दी कि AI की मदद से ऐसे खातों को ट्रैक किया जा रहा है जिनमें अचानक ट्रांजैक्शन बढ़ जाते हैं, पैसा बार-बार अलग-अलग खातों में भेजा जाता है या विदेशों में पैसा ट्रांसफर किया जाता है। इसके अलावा, फर्जी पहचान से खुले खातों पर भी निगरानी रखी जा रही है। लेकिन सिर्फ सरकार के भरोसे रहने से आप सुरक्षित नहीं हो सकते। आम लोगों को भी सावधान रहना होगा। किसी अनजान व्यक्ति को अपना अकाउंट इस्तेमाल करने की इजाजत देना खतरनाक हो सकता है। साथ ही कभी भी किसी को अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक पासबुक, OTP या UPI डिटेल्स न दें। अगर कोई फोन या सोशल मीडिया पर आपसे बैंक या व्यक्तिगत जानकारी मांगे, तो तुरंत सतर्क हो जाएं और इसकी शिकायत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर करें।
