सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दो महीने के भीतर निजी कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण करने, छात्र सुरक्षा मानदंड स्थापित करने और शिकायत निवारण तंत्र लागू करने सहित 15 बाध्यकारी निर्देश जारी किए हैं। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने यह फैसला पश्चिम बंगाल की 17 वर्षीय छात्रा की विशाखापत्तनम में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु के मामले में सुनाया, जिसके लिए सीबीआई जांच के आदेश भी दिए गए।
अदालत ने स्कूलों, कॉलेजों और कोचिंग सेंटरों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए। इनमें 100 या अधिक छात्रों वाले संस्थानों में प्रमाणित परामर्शदाता या मनोवैज्ञानिक की नियुक्ति, छोटे संस्थानों के लिए बाहरी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ रेफरल व्यवस्था और जिला मजिस्ट्रेटों की अध्यक्षता में निगरानी समितियों का गठन शामिल है। पीठ ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का अभिन्न अंग है और शैक्षणिक संस्थानों में अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के कारण समस्या गंभीर हो रही है।
सुरक्षा उपाय लागू करने का निर्देश
न्यायालय ने कोटा, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद जैसे शहरों में कोचिंग सेंटरों को उच्च मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय लागू करने का निर्देश दिया। संस्थानों को यौन उत्पीड़न, रैगिंग और बदमाशी रोकने के लिए गोपनीय तंत्र स्थापित करने, शिक्षकों और कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण देने, और माता-पिता के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने होंगे। इसके अलावा, छतों और बालकनियों जैसे जोखिम वाले क्षेत्रों में पहुंच प्रतिबंधित करने और छेड़छाड़-रोधी उपकरण लगाने के आदेश दिए गए हैं।
90 दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट
शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को 90 दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। ये दिशानिर्देश सभी शैक्षणिक संस्थानों पर लागू होंगे और तब तक बाध्यकारी रहेंगे जब तक सक्षम प्राधिकारी द्वारा उपयुक्त कानून या नियामक ढांचा लागू नहीं किया जाता। अदालत ने कहा कि यह प्रणालीगत विफलता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और यह निर्देश राष्ट्रीय कार्यबल की अंतिम रिपोर्ट के पूरक के रूप में कार्य करेंगे।
