Share Market: ‘लौट के बुद्धू घर को आए’ मुहावरा आपने जरूर सुना होगा। इस मुहावरे का मतलब होता है कि कहीं और जाने के बाद फिर उसी जगह वापस आ जाना। अब यह मुहावरा विदेशी निवेशकों पर फिट कैसे है तो चलिए आपको बताते हैं। दरअसल लंबे समय तक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालने के बाद अब एक बार फिर विदेशी निवेशक लौट आए हैं। FPI ने अप्रैल में देश के शेयर बाजारों में 4,223 करोड़ रुपये डाले हैं। एफपीआई तीन माह बाद पहली बार निवेशक बने हैं। इससे पहले मार्च में एफपीआई ने शेयरों से 3,973 करोड़ रुपये निकाले थे। फरवरी में उन्होंने 34,574 करोड़ रुपये के और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।
आगे को लेकर क्या है अनुमान?
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि आगे चलकर एफपीआई प्रवाह स्थिर रह सकता है। बीते वित्त वर्ष में कंपनियों की आय में मामूली पांच प्रतिशत की वृद्धि एफपीआई के निवेश में बाधा है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पूरे अप्रैल माह में शेयरों में 4,223 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। इस तरह 2025 में एफपीआई की निकासी अब घटकर 1.12 लाख करोड़ रुपये रह गई है। भारतीय शेयर बाजारों में अप्रैल में एफपीआई गतिविधियों में तेज उछाल देखा गया। यह इस साल उनके अबतक के निकासी के रुख की तुलना में बड़ा बदलाव है।
इसलिए भारतीय बाजार की ओर लौटे FPI
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि इस नए जोश को अनुकूल वैश्विक संकेतों और मजबूत घरेलू बुनियाद ने सहारा दिया है, जिससे उनका भरोसा बढ़ा है। उन्होंने कहा कि इस रुख की एक बड़ी वजह भारत-अमेरिका के बीच व्यापार करार की उम्मीद है। इसके अलावा अमेरिकी डॉलर में कमजोरी तथा भारतीय रुपये में मजबूती की वजह से भी एफपीआई भारतीय बाजार में निवेश बढ़ा रहे हैं। साथ ही प्रमुख भारतीय कंपनियों के अच्छे तिमाही नतीजों से भी एफपीआई की धारणा में बदलाव आया है। समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड से सामान्य सीमा के तहत 13,314 करोड़ रुपये और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 5,649 करोड़ रुपये निकाले हैं।

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