हिमाचल प्रदेश पुलिस ने शिमला में एक इंटरस्टेट ‘चिट्टा’ (मिलावटी हेरोइन) रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसका सरगना सेब व्यापार की आड़ में पिछले 5-6 सालों से इस रैकेट को चला रहा है। खास बात यह है कि आरोपी इतने शातिर और फूलप्रूफ तरीके से यह धंधा चला रहा था कि जांच एजेंसियों को उसकी भनक तक नहीं लगी।
पुलिस के मुताबिक आरोपी ड्रग्स का ऑर्डर वॉट्सएप ग्रुप के जरिए लेता था, इसके बाद सप्लाई शुरू करने से लेकर डिलीवरी भी कर दी जाती थी, लेकिन डिलीवरी करने वाले और उसे लेने वाले शख्स कभी एक-दूसरे से मिल नहीं पाते थे।
गिरोह के मास्टरमाइंड का नाम शाही महात्मा (शशि नेगी) है, जो कि ड्रग्स की मांग और आपूर्ति श्रृंखला के बीच एकमात्र सामान्य कड़ी था। भाग्य ने लंबे समय तक जिसका साथ दिया और वह पुलिस की नजर में नहीं आ सका। लेकिन 19 सितंबर को भाग्य ने उसका साथ छोड़ दिया, क्योंकि इसी दिन पुलिस ने शिमला के खरापत्थर इलाके से 465 ग्राम ‘चिट्टा’ की खेप पकड़ी, जो कि इस साल की ड्रग्स की सबसे बड़ी खेप थी। और इसी के सहारे कड़ियां जोड़ते हुए पुलिस शशि नेगी तक भी पहुंच गई।
इस बारे में जानकारी देते हुए शिमला के एसपी संजीव कुमार गांधी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के भटपुरा गांव निवासी आरोपी मुदासिर अहमद मोची (जिसे 19 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था) के शाही महात्मा उर्फ शशि नेगी के साथ संबंधों का पता लगा और सरगना को गिरफ्तार कर लिया गया।’
पुलिस एसपी ने कहा कि शाही महात्मा और उसके 40 सहयोगी सेब के कारोबार की आड़ में ऊपरी शिमला के रोहड़ू, जुब्बल-कोटखाई और ठियोग क्षेत्रों में नशीले पदार्थों की आपूर्ति कर रहे थे तथा उनके नई दिल्ली में नाइजीरियाई ड्रग गिरोहों और हरियाणा में अन्य गिरोहों के साथ संबंध भी थे।
एसपी गांधी ने शनिवार को पीटीआई-भाषा से कहा कि आरोपियों के कश्मीर के लोगों से भी संबंध हैं। शाही महात्मा गिरोह के काम करने के तरीके के बारे में बताते हुए गांधी ने कहा कि वह सुनिश्चित करता था कि ड्रग डिलीवर होने से पहले चार अलग-अलग हाथों में जाए। इसलिए उसने मांग लाने, ड्रग्स की आपूर्ति करने और भुगतान प्राप्त करने के लिए अलग-अलग लोगों को काम पर रखा था। जो कभी भी एक-दूसरे से नहीं मिलते थे।
गांधी ने कहा कि वह खुद भी कभी किसी साझेदार के सीधे संपर्क में नहीं आता था। वॉट्सएप ग्रुप्स के जरिए ड्रग्स की मांग आने के बाद, ड्रग्स के उपयोगकर्ता की पहचान का सत्यापन किया जाता था, फिर डिमांड को शशि नेगी के पास भेजा जाता था, जिसके पास ड्रग्स को सप्लाई करने के लिए एक और टीम भी थी।
गांधी ने कहा कि इनका डिलीवरी देने का भी खास स्टाइल था। डिलीवरी करने वाला व्यक्ति ड्रग्स को एक सुनसान स्थान पर रख देता था और उस जगह का वीडियो बनाकर खरीदार को भेज देता था, इसके बाद वह उसे वहां से उठा लेता था।
पुलिस ने बताया कि जहां तक पैसे की बात है, तो यह विभिन्न बैंक खातों से होते हुए सोलन में नेगी के धन लक्ष्मी बैंक खाते में पहुंचता था। गांधी ने बताया कि जिन लोगों के खातों का इस्तेमाल इन लेन-देन के लिए किया गया, उन्हें कभी पता ही नहीं चला कि यह ड्रग मनी है।
पुलिस के अनुसार पिछले 15 महीनों में आरोपियों के बैंक खातों में लगभग 2.5 से 3 करोड़ रुपए की धनराशि का लेन-देन होना पाया गया। पुलिस ने बताया कि शशि की गिरफ्तारी से पहले पुलिस ने मादक पदार्थ गिरोह में शामिल नौ लोगों के खिलाफ नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्स्टेंस एक्ट के तहत पांच FIR दर्ज की थीं। उन्होंने बताया कि अब तक पुलिस इस गिरोह के 25 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।

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