श्री कृष्ण के बाद महर्षि वेदव्यास और संजय ने भी दिया था गीता का उपदेश, इनको समझाया था श्लोकों का अर्थ
द्वापरयुग में महाभारत के युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. ऐसा माना जाता है कि पांडू पुत्र अर्जुन वो पहले शख्स थे जिन्होंने गीता के परम पावन उपदेशों का श्रावण किया था.
लेकिन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, श्री कृष्ण ने भगवद गीता की व्याख्या सर्व प्रथम सूर्यदेव के समक्ष की थी. हालांकि, उस समय में सूर्य देव देवता के रूप में न होकर अपितु मनुष्य रुपी राजा के रूप में अवतरित हुए थे. इसी कड़ी में, महर्षि वेदव्यास वो व्यक्ति थे जिन्होंने न सिर्फ महाभारत ग्रन्थ का निर्माण किया था अपितु देवताओं में सर्वश्रेष्ठ को गीता का ज्ञान भी दिया था.
दरअसल, जब श्री कृष्ण महाभारत के युद्ध से पूर्व कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दे रहे थे. तब उस समय संजय अपनी दिव्य दृष्टि की सहायता से सब कुछ साक्षात देख पा रहे थे. इसलिए जैसे जैसे श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता के एक एक श्लोक के बारे में समझाया ठीक वैसे वैसे ही संजय भी धृतराष्ट्र को गीता के एक एक श्लोक का अर्थ बताते जा रहे थे.
वहीं, जब महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत ग्रन्थ की रचना का मन बनाया, तब उन्होंने प्रथम पूज्य श्री गणेश को ग्रन्थ के लेखन हेतु चुना. महर्षि वेदव्यास गीता के उपदेशों की व्याख्या करते चले गए श्री गणेश यह सब लिखते सुनते रहे. इसी प्रकार महर्षि वेदव्यास जी ने भी श्री गणेश को गीता उपदेश दिया.
धर्म शास्त्रों के मुताबिक, भगवान श्री कृष्ण ने मात्र 45 मिनट में अर्जुन को गीता का सम्पूर्ण ज्ञान दिया था. जिस दिन गीता के उपदेश दिए गए, वह मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रविवार का दिन था.

Comments are closed.