संगीत सम्राट तानसेन के गांव बेहट की बदलेगी तस्वीर, ग्वालियर सांसद ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री से की मुलाकात, सैद्धांतिक स्वीकृति
Sangeet Samrat Tansen News : संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली और कर्मस्थली बेहट गांव की तस्वीर जल्दी ही बदलने वाली है, प्रदेश सरकार ने इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का फैसला किया है और एक प्रस्ताव बनाकर केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय को भेजा है, ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह ने आज केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से भेंट की और एक पत्र सौंपा, जिसपर मंत्री ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है।
ग्वालियर जिले के एक छोटे से गांव बेहट में पैदा हुए संगीत सम्राट तानसेन ने केवल ग्वालियर को ही नहीं मध्य प्रदेश को भी गौरवांवित किया है , बादशाह अकबर के नौ रत्नों में शुमार रहे तानसेन अपनी साधना से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सम्राट बन गए, आज संगीत से जुड़ा हर कलाकार एक बार ग्वालियर आकर तानसेन की समाधि पर जाकर शीश झुकाना चाहता है।
मध्य प्रदेश सरकार हर साल ग्वालियर शहर में हजीरा क्षेत्र में स्थित तानसेन समाधि पर राष्ट्रीय तानसेन संगीत समारोह का आयोजन करती है और एक कलाकार को अलंकृत करती है इसी समारोह में अंतिम सभा बेहट में उस चबूतरे पर होती है जहाँ बैठकर तानसेन संगीत साधना किया करते थे, अब सरकार इस क्षेत्र को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने वाली है।
मप्र सरकार ने केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय को भेजा प्रस्ताव
ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह ने पिछले दिनों तानसेन की संगीत साधना स्थली बेहट का भ्रमण किया, प्रशासनिक अधिकारी उनके साथ थे, जिसके बाद एक रिपोर्ट बनाई गई, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इसे प्राथमिकता देते हुए ITDC ने एक DPR बनवाई जिसमें 11.71 करोड़ रुपये की लागत से अधोसंरचना विकास के कार्यों का विवरण था।
केंद्रीय मंत्री ने दी प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति
मध्य प्रदेश सरकार ने 20 सितम्बर 2024 को इसे केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय को भेजा, जिसके बाद ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह ने शासन के प्रस्ताव को स्वीकृत करने के लिए पर्यटन मंत्रालय को पत्र लिखे और आज दिल्ली जाकर केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से मुलाक़ात की और उनसे अनुरोध किया जिसपर मंत्री ने सैद्धांतिक सहमति दे दी।
टेढ़ा शिव मंदिर संगीत सम्राट की साधना का प्रमाण है
केंद्रीय पर्यटन मंत्री की सहमति के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि बहुत जल्दी है बेहट की तस्वीर बदलने की प्रक्रिया शुरू होगी, झिलमिल नदी के किनारे पर बसा वो मंदिर परिसर जहाँ पेड़ के नीचे बैठकर तानसेन साधना करते थे, उनकी संगीत साधना में कितनी ताकत थी उसका प्रमाण आज भी टेढा शिव मंदिर यहाँ मौजूद है जिसे देखने देश विदेश के पर्यटक और संगीत प्रेमी यहाँ पहुँचते हैं, निश्चित ही इसके विकास के बाद पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी।
ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट
