ललितपुर: ललितपुर के एक दिव्यांग शख्स ने अपने हुनर और जज्बे से एक मुकाम हासिल किया है। आज वह बॉस्केट बॉल और टेनिस में राष्ट्रीय टीम में खेलकर यूपी के ललितपुर का नाम रोशन कर चुका है। उत्तर प्रदेश की व्हील चेयर बॉस्केट बॉल की टीम बनाकर नेपाल में भी मैच खेला है। सरकार से कोई मदद नहीं मिलने पर भारत का नाम रोशन करने वाले दिव्यांग खिलाड़ी शैलेन्द्र सिंह राजपूत उर्फ सागर आज कम्प्यूटर जनसेवा केन्द्र चलाकर अपनी पत्नि और बेटी के साथ जीवन यापन करने को मजबूर हैं।बास्केट बॉल खिलाड़ी हैं दोनों पैर से दिव्यांग शैलेंद्र सिंहललितपुर के 39 साल के शैलेंद्र सिंह बचपन से ही दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। 17 साल पहले उनके पिता की मौत हो गई थी। मां ने पेंशन के पैसों से 4 भाइयों और 2 बहनों को पाला है। शैलेंद्र बताते हैं, “2015 में बास्केट बॉल की ट्रेनिंग चेन्नई में जाकर ली। वहां से वापस आने के बाद जिले में 11 लोगों की टीम बनाई।”2018 में उन्होंने टेनिस के ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन और IWTT इंडियन व्हील चेयर टेनिस प्रतियोगिता में चेन्नई और दिल्ली में भाग लिया। वहां से वह जीतकर आए। इसके बाद 2017 में नेपाल में हुए इंटरनेशनल बास्केट बॉल में उनकी टीम रनरअप रही।शैलेंद्र बताते हैं, “उन्होंने सांसद, विधायक और प्रभारी मंत्रियों से कई बार प्रार्थना पत्र देकर दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं मांगी। मगर, किसी ने ध्यान नहीं दिया। एक व्हील चेयर 45 हजार रुपए की आती है। हम लोग किसी तरह पैसे जमा करके इन्हें खरीदते हैं।”मजबूरी में कंप्यूटर जनसेवा केंद्र चला रहेललितपुर स्टेडियम में भी दिव्यांगों के खेलने के लिए कोई सुविधा नहीं है। वे लोग घर के आंगन में प्रैक्टिस करते हैं। शैलेंद्र कहते हैं, ”खेल जिंदा रहे, इसलिए खेल लेते हैं। मगर, हम लोगों की उम्मीद टूट चुकी है।”शैलेंद्र की 4 साल पहले शादी हुई थी। उनकी एक 2 साल की बेटी भी है। दिव्यांग खिलाड़ी शैलेंद्र सिंह आज कंप्यूटर जनसेवा केंद्र चलाकर अपनी पत्नी और बेटी के साथ जीवन यापन करने को मजबूर हैं।

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