Reason Why Kadhi Is Not Eaten In Sawan Month: भोलेबाबा को समर्पित सावन का महीना जल्द शुरू होने वाला है। बता दें, इस साल सावन के पवित्र माह की शुरुआत 22 जुलाई से होकर समापन 19 अगस्त को होगा। सावन के महीने में खाने-पीने से जुड़े कुछ खास आयुर्वेदिक, वैज्ञानिक और धार्मिक नियम भी बताए गए हैं। जिनका पालने ना करने पर व्यक्ति की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। इन नियमों के अनुसार इस महीने में कई चीजों को खाने की मनाही होती है। जिसमें से एक दही और उससे बनने वाली चीजें जैसे कढ़ी और साग को ना खाने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं कि क्या है इसके पीछे के कारण।
सावन में कढ़ी ना खाने के पीछे के धार्मिक कारण-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में भगवान शिव को कच्चा दूध और दही अर्पित किया जाता है। ऐसे में इस पावन महीने में कच्चा दूध और उससे बनी चीजों का सेवन करना वर्जित माना गया है। कढ़ी तैयार करने के लिए दही की जरूरत होती है। यही वजह है कि सावन मास में कढ़ी या दूध-दही से जुड़ी चीजों का सेवन करने की मनाही होती है।
सावन में कढ़ी ना खाने के पीछे वैज्ञानिक कारण-
सावन के महीने में बारिश की वजह से हरी पत्तेदार सब्जियों में कीड़े लगने का डर ज्यादा बना रहता है। इसके अलावा सावन के महीने में साग का सेवन करने से शरीर में पित्त बढ़ाने वाले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जो कई तरह की पाचन समस्याएं पैदा करके व्यक्ति को बीमार बना सकते हैं।
सावन में कढ़ी ना खाने के पीछे आयुर्वेदिक कारण-
आयुर्वेद के अनुसार सावन के महीने में दूध और दही से बनने वाली चीजें जैसे रायता, कढ़ी और साग का सेवन करे से बचना चाहिए। स्वास्थ्य पर इन चीजों का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेद के अनुसार, सावन मास में पाचन क्रिया धीमी रहती है, ऐसे में कढ़ी व दही का पाचन करने में परेशानी हो सकती है। साथ ही वात की भी समस्या बनी रहती है।

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