सावन 2023:सात जन्मों के पापों को नष्ट करते श्री प्रतिहारेश्वर महादेव, स्वर्ग जाना है तो आइए इस नगरी – Sawan 2023 Pratihareshwar Mahadev Destroys The Sins Of Seven Births You Want To Go Heaven Then Come To City
अगर आप धार्मिक नगरी उज्जैन में रहते हैं और आपने यदि श्री प्रतिहारेश्वर महादेव के दर्शन नही किए तो श्रावण के पावन पुनीत मास मे महादेव के दर्शन करने जरूर जाए। क्योंकि इनकी महिमा अत्यंत निराली हैं। इनका दर्शन करने मात्र से ही मनुष्य धनवान हो जाता है। और जो भी सच्चे मन से पूजन-अर्चन करता है, उस व्यक्ति के पूरे कुल को स्वर्ग मे स्थान मिलता है।
पटनी बाजार मे श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पास 84 महादेव में 20 वां स्थान रखने वाले श्री प्रतिहारेश्वर महादेव का अत्यंत प्राचीन मंदिर है। जो अत्यंत चमत्कारी एवं दिव्य है। मंदिर के पुजारी मनीष शास्त्री ने जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर मे भगवान की काले पाषाण की विशालकाय प्रतिमा है। इनके साथ ही भगवान कार्तिकेय, श्री गणेश, माता पार्वती के साथ ही मंदिर के बाहर नंदी की प्रतिमा भी विराजमान है। मंदिर में प्रतिहारेश्वर महादेव के शिवलिंग के आसपास जलाधारी पर कुछ प्राचीन स्तंभ जैसे कि सूर्य, चंद्र, डमरु, ओम, त्रिशूल, शंख आदि बने हुए हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि वैसे तो वर्ष भर ही मंदिर में सभी त्योहार धूमधाम से मनाये जाते हैं, लेकिन श्रावण मास के दौरान प्रतिदिन भगवान के विशेष पूजन-अर्चन के साथ विशेष श्रृंगार और महाआरती की जाती है।
नंदी के कारण शिवलिंग का नाम पड़ा श्री प्रतिहारेश्वर महादेव
श्री प्रतिहारेश्वर महादेव की महिमा अत्यंत निराली है। स्कंद पुराण के अवंतीखंड मे इस बात का उल्लेख मिलता है, कि महादेव का पार्वती से विवाह होने के बाद जब काफी समय तक महादेव तपस्या मे लीन रहे तो देवताओं को इस बात की चिंता हुई। यदि भगवान शिव का कोई पुत्र हुआ तो वह महातेजस्वी होने के साथ ही इस पूरे लोग का नाश कर देगा। सभी देवी देवता इस चिंता से व्याकुल थे, तभी उन्हें गुरुजनों ने यह उपाय बताया कि आप सभी महादेव और पार्वती जी से मिलने जाइए और उन्हीं से इस समस्या का समाधान पूछिए। गुरुजनों के परामर्श पर सभी देवी-देवता मंदिराचल पर्वत पहुंचे तो उन्हें द्वार पर भगवान शिव के परम भक्त नंदी मिले। जिन्हें देखकर देवताओं के राजा इंद्र को लगा कि नंदी कौन है। भगवान शिव से नहीं मिलने देंगे जिसके लिए उन्होंने अग्निदेव को हंस बनकर नंदी से नजरें बचाकर महादेव तक जाने को कहा। हंस के रुप में महादेव तक पहुंचे। अग्निदेव ने देवताओं को जब बताया कि सभी देवतागण उनके द्वार पर खड़े हैं, तो महादेव खुद द्वार पर पहुंचे और उन्होंने बिना जानकारी लिए इस लापरवाही के लिए नंदी को दंड दे दिया। बिना किसी भूल के जब नंदी को दंड मिला तो नंदी पृथ्वी पर गिरकर विलाप करने लगा जिसे सुनकर देवताओं ने ही उन्हें महाकाल वन विराजमान एक चमत्कारी शिवलिंग का पूजन अर्चन करने का सुझाव दिया। जिसके बाद नंदी महाकाल वन पहुंचे। जहां उन्होंने पटनी बाजार स्थित इसी शिवलिंग का पूजन अर्चन किया। भगवान प्रसन्न हो गए और नंदी को वरदान दिया कि आप मेरे इस शिवलिंग को तुम्हारे ही नाम पर यानी प्रतिहार (नंदीगण) के रूप में ही जाना जाएगा। तभी से यह मंदिर श्री प्रतिहारेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्तजन भगवान का पूजन अर्चन करने पहुंचते हैं।

Comments are closed.