अमृतसर: श्री दुर्ग्याणा मंदिर को सुंदर लाइटों से सजाया गया है।श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियों में अमृतसर शहर जुटा है। गुरुवार रात को ही शहर के सभी मंदिरों को सुंदर लाइटों से सजा दिया गया था। शाम तक मंदिरों में सुंदर हिंडोले लगा दिए जाएंगे। दुर्ग्याणा मंदिर के कपाट दोपहर 3 बजे खुल जाएंगे। वहीं शिवाला मंदिर, इस्कॉन मंदिर, श्री मारवाड़ी मंदिर, शव मंदिर कांगड़ा कॉलोनी, दमूही मंदिर और गोपाल मंदिर में शाम 6 से रात 1 बजे तक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।बता दें कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (रोहिणी नक्षत्र) को हुआ था। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि जब रोहिणी नक्षत्र से संयुक्त होती है तो उसे कृष्ण जयंती के नाम से जाना जाता है। विष्णु धर्मोतर पुराण के अनुसार, अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र प्राप्त होने पर कृष्ण जन्माष्टमी होती है। इसमें भगवान् कृष्ण की अर्चना तीन जन्मों के पापों को नष्ट कर देती है।श्री दुर्ग्याणा मंदिर।आज जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्तअष्टमी तिथि प्रारंभ- 18 अगस्त रात्रि 12 बजकर 14 मिनट से शुरू हो चुकी है।अष्टमी तिथि समाप्त- 19 अगस्त रात्रि 01 बजकर 06 मिनट तकनिशिथ पूजा मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 20 मिनट से 01:05 तक रहेगाजन्माष्टमी पूजा सामग्रीखीरा, दही, शहद, दूध, एक चौकी, पीला साफ कपड़ा, पंचामृत, बाल कृष्ण की मूर्ति, सांहासन, गंगाजल, दीपक, घी, बाती, धूपबत्ती, गोकुलाष्ट चंदन, अक्षत, माखन, मिश्री, भोग सामग्री, तुलसी का पत्ता आदि से पूजा करें।जन्माष्टमी पर यह जरूर करेंआज भगवान श्री कृष्ण की पूजा के साथ ही गाय की भी पूजा करेंपूजा स्थल पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के साथ गाय की मूर्ति भी रखेंभगवान श्री कृष्ण का गंगा जल से अभिषेक जरूर करेंगाय के दूध से बने घी का इस्तेमाल करेंपूजा विधिमध्याह्न रात के समय काले तिल जल से डाल कर स्नान करेंइसके बाद देवकी जी के लिए प्रसूति-गृह का निर्माण करेंश्रीकृष्ण मूर्ति या चित्र स्थापित करेंघर के मंदिर में श्री कृष्ण भगवान या फिर ठाकुर जी की मूर्ति को पहले गंगा जल से स्नान कराएंमूर्ति को दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और केसर के पंचामृत से स्नान कराएंशुद्ध जल से स्नान कराएंरात 12 बजे भोग लगाकर लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना करें और फिर आरती करें।

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