सुपरस्टार पिता की विरासत को मारी ठोकर, अपनी शर्तों पर तय किया 30 साल का सफर, इस तरह चढ़ीं स्टारडम की सीढ़ियां

पिता और भाई के साथ एकता कपूर।
बॉलीवुड के चमचमाते दौर में जब जितेंद्र अपनी सफेद जूतों वाली स्टाइल और एनर्जेटिक डांस मूव्स से लोगों के दिलों पर राज कर रहे थे, तब किसी ने नहीं सोचा था कि उनकी बेटी एक दिन खुद एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की दिशा तय करने वाली महिला बनेंगी। एकता कपूर, जो एक स्टार किड के रूप में पैदा हुईं, लेकिन कभी सिर्फ उस पहचान तक सीमित नहीं रहीं। उन्होंने खुद को ‘प्रोड्यूसर’ नहीं, बल्कि एक विजनरी क्रिएटर के तौर पर साबित किया, बिना कैमरे के सामने आए, सिर्फ अपने कॉन्टेंट के जरिए हर स्क्रीन को कब्जा कर लिया। जहां पिता जितेंद्र ने पर्दे पर रोमांस और रंग भरे, वहीं बेटी एकता ने पर्दे के पीछे रहकर भारत के करोड़ों ड्राइंग रूम में कहानियों की लहर दौड़ा दी, कभी ‘तुलसी’ और ‘पार्थी’ के रूप में, कभी ‘वीरे’, ‘लुटेरा’ और ‘द डर्टी पिक्चर’ जैसी फिल्मों के जरिए।
50 साल की हुईं एकता कपूर
यह कहानी एक परिवार की विरासत की नहीं, बल्कि एक महिला की अपनी पहचान गढ़ने की यात्रा की है। एकता कपूर 7 जून को अपना 50वां जन्मदिन मना रही हैं और इस खास मौके को और भी खास बनाता है उनका 30 सालों का प्रोड्यूसर के रूप में सफर। यह साल उनके लिए बेहद सफल साबित हो रहा है। ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ की वापसी हो, अक्षय कुमार और प्रियदर्शन के साथ ‘भूत बंगला’ जैसी फिल्म या फिर TVF के साथ उनकी पहली कोलैबरेशन ‘VVAN’, जिसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा और तमन्ना भाटिया अहम किरदारों में नजर आएंगे। हर प्रोजेक्ट के जरिए एकता ये साबित कर रही हैं कि वह आज भी इंडियन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की सबसे प्रभावशाली और प्रासंगिक आवाजों में से एक हैं।
कैमरे के पीछे की असली क्रिएटर
जहां आज एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में ज्यादातर नाम बहु-भूमिकाएं निभा रहे हैं, कोई एक्टर से डायरेक्टर, कोई प्रोड्यूसर से जज, वहीं एकता कपूर उन चुनिंदा नामों में से हैं जिन्होंने सिर्फ प्रोड्यूसर के तौर पर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने अपने करियर को न ग्लैमर से, न कैमरे के सामने आकर, बल्कि अपनी क्रिएटिव समझ, कहानी कहने की कला और भारत की सांस्कृतिक नब्ज को पकड़ने की काबिलियत के दम पर आकार दिया।
टीवी से सिनेमा और OTT तक: हर मीडियम की महारथी
एकता कपूर का करियर सिर्फ लंबे नहीं, बल्कि विविधताओं से भरा है। टेलीविजन पर उन्होंने ‘हम पांच’, ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’, ‘कसौटी जिदगी की’ जैसे कल्ट शोज दिए। सिनेमाघरों में ‘द डर्टी पिक्चर’, ‘लुटेरा’, ‘उड़ता पंजाब’ और ‘वीरे दी वेडिंग’ जैसी क्रिटिकली अक्लेम्ड और साहसी फिल्में प्रोड्यूस कीं। OTT की दुनिया में ALTBalaji के जरिए ‘लॉक अप’, ‘द मैरिड वुमन’ जैसे बोल्ड और प्रासंगिक शोज लेकर आईं। हर मीडियम में उन्होंने वो कहानियां चुनीं, जो बोल्ड थीं, जरूरी थीं और जो अक्सर नजरअंदाज की जाती थीं।
इंटरनेशनल अवॉर्ड्स और राष्ट्रीय सम्मान
एकता कपूर को मिले सम्मान उनके प्रभाव की कहानी खुद कहते हैं। वो अब तक की एकमात्र भारतीय महिला निर्माता हैं जिन्हें इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड से नवाजा गया है। उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया। ये सम्मान सिर्फ एक सफल प्रोड्यूसर को नहीं, बल्कि एक सोच, दृष्टिकोण और सांस्कृतिक लीडर को मिले हैं, जिसने एंटरटेनमेंट को हर स्क्रीन साइज, ड्राइंग रूम से लेकर मोबाइल फोन तक के लिए नया आकार दिया है। एकता कपूर की सबसे बड़ी ताकत यही रही है, बदलते वक्त के साथ उन्होंने खुद को ढाला है। वो कभी अपने पुराने आइकॉनिक शोज को दोबारा जिंदा करती हैं तो कभी TVF जैसे नए दौर के क्रिएटर्स के साथ कोलैब करती हैं। अब वो कॉमेडी के दिग्गजों को भी बड़े पर्दे पर वापसी का मौका दे रही हैं।

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