विधानसभा चुनावों से ठीक पहले शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया है, जिसमें जूनियर पवार गुट को ‘घड़ी’ के अलावा अन्य चुनाव चिह्न आवंटित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार की सियासी लड़ाई एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के संस्थापक शरद पवार ने पार्टी के चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने अजित पवार गुट को ‘घड़ी’ चिन्ह का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए याचिका दायर की है। कोर्ट 15 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करेगा।
अपनी याचिका में शरद पवार गुट ने कहा है कि इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान अजित पवार गुट द्वारा घड़ी चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने से मतदाताओं में काफी भ्रम की स्थिति पैदा हुई थी। इसलिए शरद गुट ने अदालत से अपील की है कि अजित पवार गुट वाली एनसीपी को नया चुनाव चिन्ह आवंटित करने का निर्देश चुनाव आयोग को दिया जाए।
पिछले साल जुलाई में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत करते हुए एनसीपी तोड़ ली थी और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन से हाथ मिला लिया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया था लेकिन हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को घड़ी के चिन्ह का इस्तेमाल करने से रोक दिया था और आदेश दिया था कि वे लोगों के बीच यह स्पष्ट करें कि यह चुनाव चिह्न अदालत में विचाराधीन है।
बता दें कि शरद पवार द्वारा स्थापित एनसीपी का विभाजन से पहले चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ था। निर्वाचन आयोग ने इस साल फरवरी में अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को एनसीपी का नाम और ‘घड़ी’ चिह्न आवंटित किया था। शीर्ष अदालत ने 19 मार्च को शरद पवार नीत गुट को लोकसभा चुनावों से पहले अपने नाम के रूप में ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ और चुनाव चिह्न ‘तुरहा बजाता हुआ आदमी’ का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी।

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