सुबह जल्दी उठने वाले ज्यादा सफल होते हैं! क्या आपकी नींद की टाइमिंग तय करती है आपका भविष्य, जानिए क्या कहते हैं शोध
हमारे बड़े-बुजुर्ग अक्सर सुबह जल्दी उठने के लाभ गिनाते रहे हैं। भारतीय संस्कृति में ‘ब्रह्म मुहूर्त’ में उठने को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का आधार माना गया है। ‘ब्रह्म मुहूर्त’ को सूर्योदय से लगभग 1.5 घंटे पहले का समय बताया गया है..यानी लगभग सुबह 4 से 5:30 बजे के बीच। यह समय सत्त्वगुण प्रधान माना गया है। हमारे यहां सुबह जल्दी उठने की परंपरा को योग और ध्यान से जोड़ा जाता है, आजकल कई सफल उद्यमी, सेलिब्रिटी और मोटिवेशनल लीडर्स भी सुबह जल्दी उठने के फायदे बताते हैं।
तो क्या “अर्ली बर्ड्स” वाकई “नाइट आउल्स” से ज़्यादा संतुष्ट, सफल और सुखी होते हैं? आइए, इस विषय पर विश्वसनीय शोध और रोचक तथ्यों के साथ पड़ताल करें। यह सवाल सिर्फ एक जीवनशैली की बहस नहीं है बल्कि इसमें शरीर की जैविक घड़ी, मानसिक स्वास्थ्य, कार्यक्षमता और सामाजिक सफलता से जुड़ा एक व्यापक विमर्श भी शामिल है। आइए आज इस बात को विस्तार से समझते हैं।
सुबह जल्दी उठने का जादू: मिथक या हकीकत
सुबह जल्दी उठने की आदत को अक्सर अनुशासन, उत्पादकता और सफलता से जोड़ा जाता है। टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क, ऐप्पल के पूर्व सीईओ टिम कुक, ओपरा विन्फ्रे और विराट कोहली जैसे हस्तियां अपने दिन की शुरुआत सुबह 4 से 5 बजे के बीच करने की बात कहते हैं। लेकिन क्या विज्ञान भी इस दावे का समर्थन करता है?
सुबह उठने को लेकर क्या कहता है शोध
उत्पादकता और दिनचर्या : हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के एक अध्ययन के अनुसार सुबह जल्दी उठने वाले लोग अक्सर बेहतर समय प्रबंधन और कम तनाव की रिपोर्ट करते हैं। सुबह का शांत समय बिना किसी रुकावट के गहरे काम (deep work) के लिए आदर्श हो सकता है।
स्वास्थ्य लाभ : नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अनुसार सुबह जल्दी उठने की आदत नियमित नींद के पैटर्न को बढ़ावा देती है, जो मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक ऊर्जा को बेहतर बनाता है।
सफलता का कनेक्शन : 2018 में जर्नल ऑफ बिहेवियरल मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध में पाया गया कि सुबह जल्दी उठने वाले लोग ज़्यादा सक्रिय और लक्ष्य-उन्मुख होते हैं। हालांकि, यह अध्ययन यह भी कहता है कि यह आदत हर किसी के लिए जरूरी नहीं है।
नाइट आउल्स का पक्ष: रात का जादू
दूसरी ओर..नाइट आउल्स का कहना है कि देर रात का समय उनकी रचनात्मकता और उत्पादकता का चरम होता है। लेखक, कलाकार और प्रोग्रामर जैसे कई पेशेवर लोग रात के शांत माहौल में अपनी सबसे अच्छी कृतियां बनाते हैं। नाइट आउल्स अक्सर रात के शांत और निर्बाध माहौल को अपनी रचनात्मकता और उत्पादकता के लिए सबसे उपयुक्त पाते हैं। इस समय कम रुकावटें, शांत वातावरण और एक तरह का मानसिक प्रवाह उन्हें गहरे और रचनात्मक काम करने में मदद करता है।
शोध का दूसरा पहलू
रचनात्मकता का प्रवाह : साइंस डेली में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, नाइट आउल्स में रचनात्मक सोच और समस्या-समाधान की क्षमता ज़्यादा होती है। रात का समय उनके लिए कम रुकावटों और ज़्यादा फोकस का होता है।
संतुष्टि का सवाल : यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एक शोध में पाया गया कि नाइट आउल्स अक्सर सामाजिक और करियर के दृष्टिकोण से उतने ही संतुष्ट होते हैं, बशर्ते उनकी दिनचर्या उनके प्राकृतिक जैविक घड़ी (circadian rhythm) के साथ तालमेल में हो।
नतीजा किसके पक्ष में: अर्ली बर्ड या नाइट आउल
वास्तव में यह कोई प्रतियोगिता नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि सफलता, संतुष्टि और सुख आपकी प्राकृतिक जैविक घड़ी और जीवनशैली पर निर्भर करता है। अगर आप सुबह जल्दी उठकर ऊर्जावान महसूस करते हैं, तो यह आपके लिए बेहतर हो सकता है। वहीं, अगर आप रात में ज़्यादा रचनात्मक और उत्पादक हैं तो देर तक जागना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
क्या करें
अपनी जैविक घड़ी को समझें। अपना क्रोनोटाइप टेस्ट करें ताकि आप जान सकें कि आप अर्ली बर्ड हैं या नाइट आउल। नियमितता बनाए रखें..सुबह जल्दी उठें या देर रात तक काम करें लेकिन नींद के 7-8 घंटे सुनिश्चित करें। अगर आप 9-5 की नौकरी करते हैं तो सुबह की दिनचर्या आपके लिए ज़्यादा व्यावहारिक हो सकती है। वहीं, फ्रीलांसर या रचनात्मक पेशेवर रात का समय चुन सकते हैं। इसलिए अपनी जीवनशैली और स्वास्थ्य को देखते हुए चुनाव करें।

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