इस बार श्री जन्माष्टमी पर भगवान अपने पूर्वजों के वार को जन्म लेंगे। पंडित अमित भारद्वाज ने बताया कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने बुधवार को, रोहिणी नक्षत्र में, अष्टमी तिथि को, रात्रि काल में जन्म लिया था। उस समय वृष राशि में उच्च के चंद्रमा थे। इस बार प्रभु श्रीकृष्ण के जन्म के 5251वें वर्ष में 26 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र युक्त अष्टमी तिथि है, वृष राशि में उच्च के चंद्रमा भी हैं, सिर्फ बुधवार नहीं है। लेकिन एक अजब संयोग है 26 अगस्त पर जन्माष्टमी सोमवार को है। सोमवार को चंद्रवार भी कहा जाता है। सोम का पर्याय चंद्र है। यानि प्रभु श्री कृष्ण का जन्मोत्सव इस बार अपने पूर्वज के वार अर्थात् चंद्रवार को मनेगा। ज्योतिषाचार्य कामेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र एवं सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा।
Janmashtami 2024 Panchang
ज्योतिषाचार्य कामेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर मथुरा में चंद्रमा का उदय रात 11:24 बजे निशीथ बेला में होगा। भगवान श्री कृष्ण 5250 वर्ष पूर्ण करके 5251 वर्ष में प्रवेश करेंगे। उन्होंने कहा है कि भगवान श्री कृष्ण द्वापर युग में भाद्रपद मास, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में निशीथबेला में मथुरापुरी में कंस के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से अवतरित हुए थे। उस समय वृषभ लग्न एवं रोहिणी नक्षत्र, उच्च राशि के चंद्रमा थे। दृश्य गणित के पंचांग अनुसार 26 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनेगा।
Kab hai Janmashtami 2024
26 अगस्त दिन सोमवार को सूर्योदय 5 बजकर 40 मिनट पर होगा। सूर्योदय के समय भाद्रपद कृष्ण सप्तमी तिथि प्रातः काल 8 बजकर 20 मिनट तक व्याप्त रहेगी। तत्पश्चात अष्टमी तिथि आरम्भ हो जाएगी जो 27 अगस्त को सुबह 6 बजकर 34 मिनट तक व्याप्त रहेगी। इस प्रकार अष्टमी तिथि 26 अगस्त की रात में स्पष्ट रूप से प्राप्त हो रही है ।

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