Chanakya Niti For Life: आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में धन व स्त्री समेत जीवन के तमाम पहलुओं का विस्तार से वर्णन किया है। एक श्लोक में चाणक्य ने बताया है कि धन व स्त्री से ज्यादा व्यक्ति को किसकी रक्षा करनी चाहिए। चाणक्य की नीतियां आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं। कहा जाता है कि चाणक्य की नीतियों का पालन करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन जिसने भी जिन्हें अपना लिया उसे सफलता हासिल होती है। पढ़ें चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को धन व स्त्री से भी पहले किसकी रक्षा चाहिए-
आपदर्थे धनं रक्षेत् दारान् रक्षेद्धनैरपि।
आत्मानं सततं रक्षेद् दारैरपि धनैरपि॥
नीति शास्त्र में वर्णित इस श्लोक का अर्थ है- किसी दुख या आपत्तिकाल से बचाव के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए। धन खर्च करके भी स्त्रियों की रक्षा करनी चाहिए। लेकिन स्त्रियों और धन से भी ज्यादा जरूरी है कि व्यक्ति स्वयं की रक्षा करे।
चाणक्य के अनुसार, बुद्धिमान व्यक्ति को आपत्ति व बुरा दिनों के लिए थोड़ा-थोड़ा धन बचाकर उसकी रक्षा करनी चाहिए यानी धन की बचत करें। समय पड़ने पर संचित धन से भी ज्यादा अपनी पत्नी की रक्षा जरूरी है क्योंकि पत्नी जीवनसंगिनी है। चाणक्य कहते हैं कि बहुत ऐसे अवसर होते हैं, जहां धन काम नहीं आता, वहां जीवनसाथी काम आता है। बुढ़ापे में पत्नी की भूमिका अहम होती है।
चाणक्य का विचार यह भी है कि धन और स्त्री से ज्यादा व्यक्ति को अपनी रक्षा करनी चाहिए। यानी व्यक्ति का महत्व इन दोनों से ज्यादा है। अगर व्यक्ति का ही सर्वनाश हो गया तो धन और स्त्री का अस्तित्व ही क्या रह जाएगा, इसलिए व्यक्ति को धन-बचत और स्त्री रक्षा की अपेक्षा समय आने पर अपनी रक्षा ज्यादा जरूरी है। नीति शास्त्र के अनुसार, उपनिषद के कवि भी कहते हैं कि कोई किसी से प्रेम नहीं करता, सब स्वयं से ही प्रेम करते हैं।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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