श्रावण शिवरात्रि और कांवड़ यात्रा के अंतिम दिन हरिद्वार में लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर पवित्र जल भरने पहुंचे। धर्मनगरी की प्रमुख शिव मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालु विधिपूर्वक भगवान शिव का जलाभिषेक कर रहे हैं। विशेषकर दक्षेश्वर महादेव मंदिर में लंबी कतारें देखी गईं।
करोड़ों श्रद्धालु ले चुके हैं कांवड़, मंदिरों में जारी है जलाभिषेक
अब तक करोड़ों श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्य की ओर निकल चुके हैं। वहीं, शहर के प्रसिद्ध मंदिर जैसे तिलभांडेश्वर, नीलेश्वर महादेव, बिल्केश्वर महादेव, गुप्तेश्वर महादेव, दरिद्र भंजन, दुख भंजन, कुंडी सोटा महादेव और पशुपतिनाथ मंदिर में जलाभिषेक का सिलसिला जारी है।
विशेष मुहूर्त में हुआ भोलेनाथ का पूजन
पंडित पवन कृष्ण शास्त्री के अनुसार, शिवरात्रि पर जलाभिषेक का ब्रह्ममुहूर्त सुबह 4:15 से 4:56 तक था। इसके अलावा दोपहर में विजय मुहूर्त और शाम को संध्या पूजन का समय बताया गया। श्रद्धालु पूरे उत्साह और श्रद्धा से भोलेनाथ को बेलपत्र, जल, दूध, भांग आदि अर्पित कर रहे हैं।
भोलेनाथ के दरबार में सिर्फ भक्ति है ज़रूरी
आचार्य विकास जोशी ने बताया कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किसी जटिल अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होती। भोलेनाथ भक्त वत्सल हैं और केवल सच्ची श्रद्धा से ही प्रसन्न हो जाते हैं। उनके दर्शन और अभिषेक मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
हर कोने में गूंजे “हर हर महादेव” के जयकारे
हरिद्वार में कांवड़ियों और श्रद्धालुओं की भीड़ से माहौल भक्तिमय हो गया है। मंदिरों के घंटों की ध्वनि और हर-हर महादेव के जयकारे धर्मनगरी की हर गली में गूंज रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम किए हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
