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15 हजार गिरदावरी में गलती, बाेया लहसुन, पटवारी ने सर्वे में लिखा गेहूं और सरसाें

कोटा: बारां के महावीर गुर्जर ने अधिकतर लहसुन सरकारी कांटे पर बेचने के लिए रखा है, लेकिन गिरदावरी गलत भरने अब इसकी सरकारी खरीद होना मुश्किल है।बाजार हस्तक्षेप योजना में जल्द शुरू होगी लहसुन की खरीदबाजार हस्तक्षेप योजना के तहत लहसुन की खरीद जल्द शुरू होगी। हालांकि इससे पहले किसानाें के सामने नई परेशानी आ गई है। संभाग में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं कि किसानाें ने खेत में लहसुन बाेया है, लेकिन पटवारी ने गिरदावरी में गेहूं या सरसाें की फसल दिखा दी है। किसानों का कहना है कि पटवारियाें ने माैके पर जाकर गिरदावरी नहीं बनाई है। ऐसे में वे अपना लहसुन सरकारी कांटे पर नहीं बेच पाएंगेे। बाजार में अच्छी कीमत न मिलने से पहले ही घाटे में फसल बेचनी पड़ रही है। अब गिरदावरी में गड़बड़ी से संभाग के करीब 10 हजार से अधिक किसानाें काे कराेड़ाें का नुकसान हाेगा। भास्कर ने गांवाें में किसानाें से बात की ताे उन्हाेंने अपनी पीड़ा बताई।भारतीय किसान संघ के प्रदेशमंत्री जगदीश कलमंडा ने बताया कि हाड़ाैती में करीब 6.50 लाख मीट्रिक टन लहसुन हुआ है। लेकिन बाजार में दाम 3 से लेकर 30 रुपए तक ही मिल रहे हैं। ऐसे में किसानाें की लागत भी नहीं निकल पा रही थी। लाेकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बाजार हस्तक्षेप याेजना की पहल की। इस याेजना में एक किलाे लहसुन 29.57 रुपए में बिकेगा।इससे किसानाें काे थोड़ी राहत मिलेगी। प्रवक्ता आशीष मेहता ने बताया कि किसान संघ के सर्वे में भी ये शिकायत सामने आई है। करीब 10-15 हजार किसानाें की गिरदावरी गलत भरी गई है। इसे समय रहते सही नहीं किया ताे किसान सरकारी कांटे पर लहसुन नहीं बेच पाएंगे। अधिकारियों से शिकायत के बावजूद अभी तक गिरदावरी सही नहीं की गई है। वहीं बुधवार से शुरू होने वाली सरकारी खरीद में प्रदेश के 6 जिलों से कुल 46830 मीट्रिक टन लहसुन खरीदा जाएगा।किसानाें की पीड़ा : पटवारी ने मौके पर आए बिना ही बना दी गिरदावरी, अब सरकारी कांटे पर खरीद होना मुश्किलकुंजेड़ के महेश चंद्र सुवालका ने खाता नंबर 303, खसरा नंबर 996 और 999 में करीब 5 बीघे में लहसुन बाेया था। गिरदावरी देखी ताे उसमें सरसों और गेहूं की फसल अंकित थी। 12 दिन पहले तहसीलदार अटरू और एसडीएम अटरू को भी शिकायत दी, लेकिन काेई कार्रवाई नहीं हुई।बारां बपावर के महावीर गुर्जर ने 6 बीघा में लहसुन बाेया था, लेकिन गिरदावरी में गेहूं लिख दिए। इस बार ताे महावीर ने गेहूं ताे एक बीघा में भी नहीं लगाया। कई बार काेशिश की, लेकिन किसी ने ठीक नहीं किया। वे कहते हैं कि लहसुन सरकारी कांटे पर बेच नहीं पाऊंगा। इससे बड़ा घाटा हाेगा, अगली फसल के लिए पैसा नहीं बचेगा।रेलगांव काेटा के नरेन्द्र मालव ने 5 बीघा में लहसुन किया था गिरदावरी में गेहूं लिखा है। पटवारी से संपर्क किया, लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया। नरेंद्र का कहना है कि लहसुन अभी तक संभाल कर रखा था कि सरकारी कांटे पर बेच देंगे। लेकिन नया संकट सामने आ गया है। मार्केट में ताे 10 रुपए से ज्यादा रेट नहीं मिलेगा।अटरू के कुंजेड़ गांव में रहने वाले विक्रम सिंह ने खसरा नंबर 963 में 6 बीघा में लहसुन बाेया था। कलोंजी और सरसों भी थी, परंतु पटवारी ने पूरे रकबे में गेहूं की गिरदावरी दिखा दी है। पटवारी माैके पर आया ही नहीं और मर्जी से गिरदावरी भर दी है। उनका कहना है कि प्रशासन दाेबारा सर्वे करवाए ताे किसानाें की दिक्कत दूर हाे।इसलिए जरुरी है गिरदावरी : किसानाें काे अपनी फसल सरकारी कांटे पर बेचने के लिए गिरदावरी दिखानी हाेती है। इसमें अगर लहसुन अंकित हाेगा ताे एक किसान से 25 क्विंटल लहसुन सरकारी कांटे पर खरीदा जा सकेगा। लेकिन अगर गिरदावरी में फसल अंकित ही नहीं हाेगी ताे किसान सरकारी कांटे पर अपनी फसल नहीं बेच पाएगा। वहीं दूसरी ओर किसान की फसल खराब हाेने पर गिरदावरी में सही फसल अंकित नहीं हाेगी ताे मुआवजा भी नहीं मिल पाएगा।मेरी जानकारी में भी यह मामला आया है। किसानाें की ओर से शिकायत दी गई है। चाराें जिलों के कलेक्टराें काे लिखा है कि गलत हाेने पर गिरदावरी सही करवाएं। इसके लिए कलेक्टर अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं।- दीपक नंदी, संभागीय आयुक्त6 जिलाें में खरीदा जाएगा 46830 मी. टन लहसुन, हाड़ौती में 40 हजार टन होगी खरीदकेंद्र से मंजूरी के लगभग 1 महीने बाद प्रदेश सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत लहसुन खरीद के आदेश जारी किए हैं। राज्य सरकार राजफैड के माध्यम से प्रदेश के 6 जिलों से कुल 46830 मीट्रिक टन लहसुन की खरीद करेगी। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल की पहल पर मंगलवार को जयपुर में संबंधित विभागों के अधिकारियों की प्रमुख शासन सचिव कृषि दिनेश कुमार की अध्यक्षता में बैठक हुई।इसमें राजफैड के माध्यम से सरकार द्वारा जारी स्वीकृति आदेश की शर्तों के अधीन लहसुन खरीद का निर्णय लिया गया। सरकार ने लहसुन खरीद का मूल्य 2957 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। कोटा संभाग के लहसुन उत्पादक किसान लंबे समय से बाजार हस्तक्षेप याेजना में लहसुन खरीद की मांग कर रहे थे। किसान सर्वाेदय मंडल के जिला संयाेजक अब्दुल हमीद गाैड़ व अन्य प्रतिनिधियाें ने मंत्री शांति धारीवाल व मुख्यमंत्री अशाेक गहलाेत काे किसानों की समस्या से अवगत कराया था। साथ ही लहसुन के बारिश में खराब होने की आशंका जताई थी।6 जिलों में होगी खरीद : हाड़ौती से 40030 मीट्रिक टन लहसुन खरीदा जाएगा। कोटा में 13500 मीट्रिक टन, झालावाड़ में 8830 मीट्रिक टन, बारां में 13700 मीट्रिक टन और बूंदी में 4 हजार मीट्रिक टन लहसुन खरीदा जाएगा। प्रतापगढ़ जिले में 5000 मीट्रिक टन और जोधपुर में 1800 मीट्रिक टन लहसुन सरकारी केंद्र पर खरीदा जाएगा।ऑनलाइन होगा पंजीयन : किसान ऑनलाइन के पंजीकरण के बाद स्थापित खरीद केंद्र पर निर्धारित दिवस पर उपज लेकर आएगा। किसानों को खरीद के 5 दिन के अंदर बैंक खाते में ऑनलाइन भुगतान किया जाएगा। खरीद केंद्रों पर गुणवत्ता और मापदंड की जांच में सहयोग के लिए कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारी रहेंगे।

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