जौनपुर: जौनपुर के खुटहन के बड़नपुर गांव में पिछले वर्ष 23 अप्रैल को किरन पासवान ने बेटी को जन्म दिया। प्रसव के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रतिभा सिंह व सहायिका शशिकला उपाध्याय ने बच्ची का वजन किया तो वह मात्र डेढ़ किलो थी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने ग्रोथ चार्ट के जरिये मां को समझाया कि बच्ची खतरे में है। सलाह दी कि उसे हमेशा सीने से लगाकर रखें और स्तनपान कराते रहें। खुद पौष्टिक आहार ही लें। बच्ची को स्पर्श करने से पहले साबुन से हाथ धुलें। मां ने पूरी बात मानी और अब बच्ची पूर्ण स्वस्थ है। मां किरण ने कहा कि प्रतिभा दीदी न होती तो हमारी बच्ची न बच पाती।डेढ़ किलो था वजनखुटहन के ही बड़नपुर गांव के कनकलता को पिछले साल 8 अप्रैल को बेटी अंशिका पैदा हुई। पैदाइश के वक्त उसका वजन डेढ़ किलो था। वहीं छह मार्च को जन्मी सुनीता की बेटी काम्या का वजन भी डेढ़ किलो था। हालांकि काम्या के जन्म के बाद ही सुनीता की मौत हो गई। काम्या की दादी ने ही आंगनबाड़ी की सलाह पर उसका ध्यान रखा जबकि कनकलता आंगनबाड़ी की सलाह पर अंशिका की परवरिश की। वर्तमान में अंशिका और काम्या दोनों ही स्वस्थ हैं।अनावश्यक अस्पताल जाने से बचेंखुटहन ब्लॉक के यह तीन मामले सिर्फ बानगी भर हैं। असल में जिले में ऐसे कई उदहारण हैं जो आंगनबाड़ी टीम के बदौलत स्वस्थ जिन्दगी जी रहे हैं। खुटहन के सीडीपीओ अनीता देवी ने सभी से अपील की है कि अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं का सम्मान करें। यह कार्यकर्ता आपकी सेवा के लिए ही तैनात किये गए हैं। इनकी बातें मानेंगे तो अनावश्यक अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।सिरकोनी में मिला पोषणएक नवम्बर 2020 को सिरकोनी ब्लाक के नेवादा में प्रियंका और विजय के घर पैदा हुई सृष्टि एक वर्ष छह महीने की होने पर भी बहुत दुबली थी। उसकी लम्बाई 68 सेमी तथा वजन छह किलो 50 ग्राम था। खिलाने पर उल्टी कर देती थी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गीता यादव ने अप्रैल में उसे पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती कराया। इस दौरान बच्ची का वजन 200 ग्राम बढ़ गया। अब सृष्टि ठीक से खा पी रही है। सिरकोनी के सीडीपीओ मनोज वर्मा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गीता यादव के बच्चों के घर-घर जाकर देखभाल करने की प्रशंसा करते हैं। वह कहते हैं कि बच्चों का लगातार फालोअप लेकर देखभाल करने से कई बच्चे अब तक स्वस्थ हो चुके हैं।317 बच्चे कुपोषण से मुक्त23 जून 2020 को खुलने के बाद से लेकर आज तक एनआरसी ऐसे ही 317 बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराकर उनके मां-बाप के जीवन में खुशहाली दे चुका है।एनआरसी प्रभारी डॉ राम नगीना कहते हैं कि एनआरसी में बच्चे की कुुुपोषण की स्थिति के अनुसार डाइट चार्ट तैयार कर उसे पोषक भोजन दिया जाता है। साथ आने वाली मां/अभिभावक को 50 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से अलग से खाने के लिए मिलता है। बच्चे की जांच और दवा सब मुफ्त रहती है।

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