सनातन धर्म में एक से बढ़कर एक त्यौहार मनाए जाते हैं। कुछ त्यौहार ऐसे होते हैं, जिसे देश भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, तो कुछ त्यौहार ऐसे भी होते हैं, जो स्थानीय क्षेत्र में मनाते हैं। इन सभी का अपना अलग-अलग महत्व और पौराणिक कथाएं होती है। इनमें से एक कालाष्टमी भी है, जो हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दौरान भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा अर्चना की जाती है।
ऐसी मान्यता है कि जिन्हें मनचाहा वरदान चाहिए होता है, वह कालाष्टमी का व्रत रखते हैं, जिससे उनकी सारी पर मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसके अलावा, जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, 20 अप्रैल को शाम 7:00 बजे वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। जिसका समापन अगले दिन यानी 21 अप्रैल को शाम 6:58 पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, 20 अप्रैल को वैशाख माह की कालाष्टमी मनाई जाएगी। जिनकी पूजा निशा कल में होती है। जिसका शुभ मुहूर्त देर रात 11:58 से लेकर रात 12:42 तक है।
योगों का हो रहा निर्माण
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस बार कालाष्टमी पर कई सारे शुभ लोगों का निर्माण हो रहा है, जिसमें सिद्धि और शिववास का सहयोग शामिल है। शिववास योग शाम 7:00 बजे से बन रहा है। इस दौरान माता पार्वती और महादेव की विधि विधान पर वक्त पूजा अर्चना करने से जातकों को मनचाहा वरदान मिलेगा। वहीं, सिद्ध योग से शुभ कार्यों में सफलता मिलेगी।
इन चीजों का करें दान
इस खास अवसर पर सफेद चीज, दूध, दही, श्रृंगार के समान, अन्न और धन, फल, आदि का दान सहित काले तिल का दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन आप मिठाई भी जरूरतमंद और गरीबों में दान कर सकते हैं। ऐसा करना सनातन धर्म में बहुत शुभ माना जाता है। इससे असीम फलों की प्राप्ती होती है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)

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