नई दिल्ली । पिछले 24 घंटों में देश में कोरोना के 5223 नए संक्रमित सामने आए हैं। हमारे देश में एक बार फिर कोरोना के मरीजों में की संख्या में अचानक बढोत्तरी दर्ज की गई है। कोरोना के नए मरीजों में पहले के मुकाबले कुछ नए लक्षण देखने को मिल रहे हैं। इतना ही नहीं कोरोना से रिकवर होने को लेकर भी बदलाव देखा जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोनावायरस खत्म होने का नाम नहीं ले रहा और संभावना है कि यह खत्म न भी हो। वहीं, यह समय के साथ-साथ अपने लक्षणों, स्वरूप और तरीकों में बदलाव कर रहा है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना के मामलों में कुछ बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। कोरोनावायरस ऐसी बीमारी रहा है, जिससे संक्रमित होने के बाद शरीर के लगभग सभी अंगों पर असर पड़ा है। यहां तक कि पोस्ट-कोविड इफेक्ट में देखा गया है कि कोरोना ने हड्डियों को भी नुकसान पहुंचाया है। वे कहते हैं कि अभी भी कोरोना के मरीज सामने आ रहे हैं, लेकिन उनमें कुछ लक्षणों में बदलाव देखा गया है। विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना के नए मरीजों पर बारीकी से नजर रखने के बाद 3 प्रमुख बदलाव देखे जा रहे हैं। इनमें पहला बदलाव कोरोना के इन्क्यूबेशन पीरियड यानि इसके संक्रमण पैदा होने की अवधि से संबंधित है। दूसरा बदलाव कोरोना वायरस से संक्रमित हुए मरीज के पूरी तरह ठीक होने को लेकर है। वही तीसरा बदलाव जो कि सभी में नहीं लेकिन कुछ मरीजों में देखा जा रहा है वह है गले में दर्द और इस दर्द का तकलीफ देह होना। हालांकि असिम्टोमैटिक लक्षणों वाले मरीजों में चूंकि लक्षण ही नहीं होते तो किसी भी प्रकार का बदलाव कम दिखाई देता है या बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अब आ रहे नए मरीजों में पहला बदलाव इसके इन्क्यूबेशन पीरियड को लेकर देखने को मिल रहा है। इन्क्यूबेशन पीरियड यानि कि कोरोना संक्रमित या वायरस के संपर्क में आने के कितने दिन बाद दूसरा व्यक्ति इससे संक्रमित हो रहा है। तीन लहरों में आए पहले के मामलों में देखा जा रहा था कि अगर कोई व्यक्ति वायरस के संपर्क में आया है तो उसमें 5-7 दिन के अंदर कोरोना के लक्षण दिखाई दे जाते थे, लेकिन अब इसकी अवधि कुछ बढ़ी हुई मालूम चल रही है। कुछ मरीजों में देखा गया है कि वायरस के संपर्क में आने के 8-10 दिन के बाद उनमें कोरोना की पुष्टि हो रही है। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि लोगों को संक्रमित करने के लिए वायरस को ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है और शायद इसलिए कोरोना का इन्क्यूबेशन पीरियड बढ़ रहा है।विशेषज्ञों का मानना हैं कि कोरोना वायरस आने के दौरान कहा गया था कि यह 14 दिन में ठीक हो जाता है।
कई बार गंभीर मरीजों में यह अवधि 14-21 दिन भी रही। इस अवधि तक लोग इस बीमारी से रिकवर हो रहे थे। हालांकि अब जबकि कोरोना का संक्रमण काफी हल्का है या असिम्टोमैटिक है लेकिन मरीजों में करीब 1 महीने तक कमजोरी या दर्द आदि देखा जा रहा है। इसलिए ऐसा अनुमान है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद मरीजों को परेशानी तो कम हो रही है लेकिन थकान, दर्द जैसे लक्षण करीब एक महीने तक चल रहे हैं। लिहाजा पूरी तरह स्वस्थ होने और फिट महसूस करने में कुछ समय लग रहा है।कोरोना के नए मरीजों में गले में दर्द की शिकायत भी मिल रही है। वैसे तो कोरोना की शुरुआत से ही गले में दर्द इसका प्रमुख लक्षण रहा है। आवाज का बदलना, गले में दर्द होना या भारी होने की परेशानियां मरीजों को रही हैं लेकिन अब सामने आ रहे मरीजों का कहना है कि उन्हें गले में दर्द होने के साथ ही ऐसा लगता है कि कोई गले को दबा रहा है या दम घुट रहा है।
मरीजों का कहना है कि उन्हें गले में दर्द के साथ कई बार गला बंद होने की परेशानी महसूस होती है और बोलने में दिक्कत होती है। यह तकलीफदेह है। डॉ सतीश कहते हैं कि कोरोना के नए मामलों में अभी ओमिक्रोन परिवार के ही सब-वेरिएंट का संक्रमण मिल रहा है। इतना ही नहीं रोजाना आ रहे सभी मरीजों में एक जैसे लक्षण भी नहीं मिल रहे हैं। कुछ असिम्टोमैटिक हैं, कुछ हल्के लक्षणों वाले हैं, जबकि कुछ मरीजों में थोड़े गंभीर लक्षण देखने को मिल रहे हैं। कोरोना के मरीजों में बढ़ोत्तरी के बावजूद मौतों की संख्या काफी कम है। इसके पीछे कोरोना संक्रमण से पैदा हुई इम्यूनिटी और वैक्सीनेशन का अहम रोल है।

Comments are closed.