टोंक: रिटायरमेंट के बाद निराश होकर अकेला घर लौटते दूल्हे मियां।24 साल से 2.50 रुपए रोज में नौकरी करने वाले दुल्हे मियां आखिर 2 दिन पहले इस नौकरी से भी रिटायर्ड हो गए। दुल्हे मियां टोंक में हेल्थ डिपार्टमेंट में इस उम्मीद में नौकरी करते रहे की सरकार उनको परमानेंट कर देगी, लेकिन यह उम्मीद भी रिटायरमेंट के साथ ही खत्म हो गई। एक आखरी उम्मीद थी कि अन्य कर्मचारियों की तरह उन्हें भी सम्मान जनक विदाई दी जाएगी, लेकिन यह भी भ्रम ही निकला, उनको सम्मानित करने कोई नहीं आया। वहीं, उसी समय रिटायर्ड होने वाले दो अन्य स्थायी कर्मचारियों को माला पहनाकर विदाई दी गई।नियमित होने की उम्मीद में पिछले 24 साल से ढाई रुपए रोज में हेल्थ डिपार्टमेंट में काम करने वाले बहीर निवासी दुल्हे मियां को टोंक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) ऑफिस में लगा रखा था। वे वर्तमान में CMHO ऑफिस में कोरोना नियंत्रण सेल में कार्यरत थे और यहीं से 30 जून को रिटायर्ड हो गए। उनको उम्मीद थी कि रिटायरमेंट के मौके पर तो सम्मान मिलेगा, लेकिन वह भी नसीब नहीं हुआ। वे काफी देर तक CMHO ऑफिस में बैठे रहे की कोई कर्मचारी सम्मान करने आएगा, लेकिन जब काफी देर तक कोई नहीं आया तो अकेले ही घर चल दिए। वहीं, 30 जून को CMHO ऑफिस से रिटायर्ड हुए 2 कर्मचारियों को पूरे सम्मान के साथ विदाई दी गई।1998 से अनुबंध पर नौकरीदूल्हे मियां ने बताया कि 1998 में उसको नियमानुसार पार्ट टाइम के रूप में सरकारी विभाग में लिया गया था। CMHO ऑफिस में कोरोना नियंत्रण सेल में लगा रखा था। CMHO ने कोरोना ड्यूटी पास भी जारी किया था, लेकिन इसके बाद भी अब तक न्यूनतम मजदूरी तक नहीं मिल पाई। मुझे न तो ठेका प्रथा के तहत और न ही उसे संविदा में माना जा रहा है। जबकि मेरे साथ और मेरे बाद आने वाले कई कार्मिक परमानेंट हो गए। उनको मेरे से अधिक वेतन मिल रहा है, लेकिन मेरा मामला अभी तक अटका हुआ है। मेरी फाइल तक को एक CMHO ने गायब करवा दी। दूल्हे मियां ने कहा कि जिंदगी के 60 साल ऐसे ही निकल गए। 24 साल तक ढाई रुपए रोज (75 रुपए महीना) की अनुबंध की नौकरी स्थायी होने की उम्मीद में करता रहा। अब तो वह उम्मीद भी खत्म हो गई है। मामला कोर्ट में है अब तो वहीं से न्याय की उम्मीद है।

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