GDP Data: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) 31 मई को जीडीपी वृद्धि के आंकड़े जारी करेगा और सभी को इसका इंतजार है.
GST Estimates BoB: ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती, बैंक लोन में तेजी और जीएसटी कलेक्शन बढ़ने के साथ देश की आर्थिक विकास दर मार्च, 2022 को खत्म हुए वित्त वर्ष में 9.2 फीसदी रहने की उम्मीद है. बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. इससे पिछले वित्त में अर्थव्यवस्था में 7.3 फीसदी की गिरावट आई थी. सरकार के एडवांस एस्टिमेट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.9 फीसदी रहने की संभावना है.
कब आएंगे जीडीपी के आंकड़ेराष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) 31 मई को जीडीपी वृद्धि के आंकड़े जारी करेगा. बीओबी के आर्थिक रिसर्च डिपार्टमेंट ने जीडीपी को लेकर अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसे पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) में आर्थिक वृद्धि दर ऊंची रहने का अनुमान है. इसकी वजह है कि अलग अलग राज्यों में कोविड संक्रमण के मामलों में कमी के साथ अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों के खुलने और आवाजाही बढ़ने से विकास दर बढ़ेगी.
इन सेक्टर्स में दिखेगी तेजीइसमें कहा गया है कि संपर्क से जुड़े क्षेत्रों में मजबूत पुनरुद्धार की उम्मीद है. वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 5.5 फीसदी रहने का अनुमान है जो तीसरी तिमाही में 5.4 फीसदी थी. रिपोर्ट के मुताबिक सर्विस सेक्टर में जरूरी तेजी देखने को मिलेगी. इसके अलावा ट्रेवल और होटल के साथ कंस्ट्रक्शन सेक्टर का प्रदर्शन बेहतर रहने का अनुमान है.
कृषि विकास दर में कम तेजी का अनुमानबीओबी के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक हालांकि कृषि वृद्धि सरकार के 3.5 फीसदी के अनुमान के मुकाबले 3.3 फीसदी रह सकती है. इसका कारण गेहूं की उपज का कम होना, रूस-यूक्रेन युद्ध और गर्मी का बढ़ना है. रिपोर्ट के अनुसार, इसका असर इंडस्ट्रियल ग्रोथ पर भी पड़ सकता है. बीओबी ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में 7.3 फीसदी की गिरावट के बाद देश की आर्थिक वृद्धि दर 2021-22 में बेहतर रहने की संभावना है.
ये कारण रहेंगे अहमरिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती, बैंक कर्ज में तेजी और जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) कलेक्शन बढ़ने के साथ देश की आर्थिक वृद्धि दर मार्च, 2022 को खत्म वित्त वर्ष में 9.2 फीसदी रहने का अनुमान है. इसमें कहा गया है कि हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध, कमोडिटी के दाम में तेजी और आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर महंगाई में तेजी से अर्थव्यवस्था के सामने जोखिम हैं.
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