लूट, डकैती और धोखाधड़ी जैसे संगीन मामलों में सजा काट रहे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां ने यतीमखाना प्रकरण में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए कोर्ट में 36 गवाहों की सूची दाखिल की है। इसके साथ ही कुछ दस्तावेजी साक्ष्य भी कोर्ट को सौंपे गए हैं। इस मामले में अभियोजन की आपत्ति पर सुनवाई के लिए अदालत ने अगली तारीख 23 जुलाई तय की है।
क्या है यतीमखाना मामला?
यह केस रामपुर शहर कोतवाली क्षेत्र का है, जहां सपा सरकार के दौरान यतीमखाना परिसर को खाली कराया गया था। आरोप है कि आजम खां के इशारे पर तत्कालीन सीओ सिटी आले हसन, स्थानीय सपा नेता और पुलिसवालों ने मिलकर जबरन लोगों के घरों में घुसकर मारपीट की, सामान तोड़ा और लूटपाट करते हुए मकान खाली कराए। सत्ता परिवर्तन के बाद वर्ष 2019 में पीड़ितों ने एफआईआर दर्ज कराई थी। फिलहाल मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहा है।
29 जुलाई को सुनवाई
सपा नेता आजम खां के खिलाफ सिविल लाइंस कोतवाली में दर्ज भड़काऊ भाषण के एक मामले की सोमवार को सुनवाई होनी थी। लेकिन बचाव पक्ष ने स्थगन की मांग की, जिसे कोर्ट ने मंजूर करते हुए अगली तारीख 29 जुलाई तय कर दी। सिविल लाइंस थाने में ही दाखिल की गई एडिशनल चार्जशीट पर आजम खां के अधिवक्ता ने कोर्ट से समय मांगा है। अब इस पर भी 29 जुलाई को सुनवाई होगी।
सुनवाई टली
आजम खां के बेटे और सपा के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खां के खिलाफ गंज कोतवाली में दर्ज मारपीट और धमकाने के केस में सोमवार को सुनवाई होनी थी। लेकिन बचाव पक्ष की ओर से स्थगन मांगने के चलते यह सुनवाई भी टल गई। अब 31 जुलाई को अगली तारीख तय की गई है। आजम खां और उनके परिवार से जुड़े मामलों की लंबी फेहरिस्त है और एक के बाद एक कोर्ट में इनकी सुनवाई हो रही है। लेकिन यतीमखाना प्रकरण ऐसा मामला है, जिसे आजम खां की छवि और कानूनी भविष्य के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।
