उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने सर्विस चार्ज वसूली को अवैध बताते हुए इस पर तुंरत प्रभाव से रोक लगाने को कहा है. इससे रेस्टोरेंट के बिल में 10 फीसदी तक की कमी आने का अनुमान है.
नई दिल्ली. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने सर्विस चार्ज को अवैध बताया है. मंत्रालय ने भारतीय राष्ट्रीय रेस्टोरेंट संघ (एनआरएआई) को आदेश दिया है कि वह तुरंत प्रभाव से खानपान पर सर्विस चार्ज लेना बंद कर दे. मंत्रालय ने कहा है कि इससे उपभोक्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. गौरतलब है कि सोशल मीडिया व समाचारों में उपभोक्ताओं से जबरन सर्विस चार्ज वसूली की खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मंत्रालय ने 2 जून को बैठक बुलाई थी.
वहीं, होटल उद्योग ने खानपान के बिल में सर्विस चार्ज लेने से रोकने के लिए कानूनी व्यवस्था किए जाने की घोषणा को शुक्रवार को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया. उन्होंने कहा कि इससे उपभोक्ताओं को सेवा देने वाले आम कर्मचारियों के हितों को चोट पहुंचेगी. गौरतलब है कि इससे रेस्टोरेंट में खाना 10 फीसदी सस्ता हो सकता है.
अभी कोई कानून नहीं बना हैएनआरएआई के अध्यक्ष कबीर सूरी ने कहा कि इस मुद्दे पर अभी कोई कानून नहीं बना है लिहाजा इस बारे में आने वाले प्रावधान का इंतजार किया जा रहा है. बता दें कि खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि रेस्तरां अपने बिल में अलग से सेवा शुल्क नहीं जोड़ सकते हैं. इस पर रोक लगाने के लिए सरकार एक कानून लाने के बारे में भी सोच रही है.
कर्मचारियों को होगा नुकसानइस घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए सूरी ने कहा, “सेवा शुल्क रेस्तरां में आने वाले मेहमानों को सेवा देने वाले कर्मचारियों के लिए होता है. इसे रेस्तरां में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के बीच बांट दिया जाता है. एक रेस्तरां मालिक के रूप में हम उसी राशि को खानपान वाले उत्पादों के बिल में जोड़ सकते हैं लेकिन फिर खाना परोसने वाले स्टाफ को कुछ नहीं मिलेगा.
उपभोक्ता मामलों के सचिव ने लिखा था पत्रपिछले महीने सर्विस चार्ज की जबरन वसूल की खबरों पर संज्ञान लेते हुए उपभोक्ता मामलो के मंत्रालय सचिव रोहित कुमार सिंह ने रेस्टोरेंट संघ को पत्र लिखा था. उन्होंने कहा था कि रेस्टोरेंट डिफॉल्ट रूप से उपभोक्ताओं से सर्विस चार्ज वसूल रहे हैं. सिंह के अनुसार, इस तरह के किसी भी चार्ज का कलेक्शन स्वैच्छिक और उपभोक्ताओं के विवेक पर है और उपभोक्ता इस चार्ज के भुगतान के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है.

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