देव सती ने कनखल में त्यागे थे अपने प्राण, आज भी इस कथा से जुड़े मौजूद हैं यहां निशान धार्मिक By Charanjeet Singh On Jul 21, 2022 🔊 ख़बर सुनें देवशयनी एकादशी से देवों का शयनकाल शुरू हो गया है. शिव पुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं तब संसार की बागडोर भगवान शिव के हाथों में रहती है. 14 जुलाई 2022 से सावन की शुरुआत हो गई है. मान्यता है कि इस दौरान शिव जी कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर आते हैं यहीं से ब्रह्मांड का संचालन करते हैं. आइए जानते है सावन में धरती पर कहां निवास करते हैं भगवान भोलेनाथ. पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ अपने सुसराल आते हैं. हरिद्वार के कनखल में भगवान शिव का ससुराल है. यहां स्थित दक्ष मंदिर में भगवान शिव माता सति से विवाह के बंधंन में बंधे थे. यह भी पढ़ें Rahu-Ketu Gochar 2023: Rahu-Ketu transit the fate of these 3… Sep 26, 2023 अमेरिका के फ्लोरिडा में हमलावर ने चलाई ताबड़तोड़ गोलियां, 3… Aug 27, 2023 देवी सती ने यहां त्याग दिए थे प्राण शिव पुराण के अनुसार कनखल में देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने प्रसिद्ध यज्ञ का आयोजन किया था. इस यज्ञ में भगवान भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया गया था. यहीं पर देवी सती ने अपने पिता द्वारा भगवान शिव का अपमान करने पर यज्ञ में अपने प्राण की आहूति दे दी थी. माता सती के अग्निदाह पर शिव जी के गौत्र रूप वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति का सिर काट दिया था. कनखल में है मौजूद है ये निशान कहते हैं कि यहां मौजूद एक छोटा सा गड्ढा राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ की निशानी है जिसमें देवी सती ने प्राण त्याग दिए थे. वहीं मूर्छित देवी सती को भुजाओं में उठाते हुए भगवान शिव की मूर्ति मां सती के समाधि लेने के बाद की घटना को दर्शाती है. Like224 Dislike28 7007700cookie-checkदेव सती ने कनखल में त्यागे थे अपने प्राण, आज भी इस कथा से जुड़े मौजूद हैं यहां निशानyes
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