गाजीपुर: गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद तहसील में मौजूद शहीद स्मारक आजादी का गवाह है। “शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले। वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।” इस बात को पूरी तरह सत साबित करता है, ये शहीद स्मारक।यही वह तहसील है जहां जंगे आजादी के दौरान 18 अगस्त 1942 को वतन के दिवानों ने हंसते हंसते अपनी जान देश के नाम कुर्बान कर दी थी। इन वीरों ने 15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने से कई साल पहले ही इस तहसील पर तिरंगा लहराते हुए ब्रिटिश सरकार की नींव हिला दी थी। आज भी लोग इन वीर शहीदों को सलाम कर देशभक्ति की प्रेरणा लेते हैं।ये लिखावट शहीदों के कुर्बानी की गवाही देता है।गाजीपुर तक गूंज उठी थी अंग्रेजों भारत छोड़ों का नाराये 8वीर सपूत गाजीपुर के लोगों के जेहन में आज भी बसे हैं। वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू होते ही पूरे देश में अंग्रेजों भारत छोड़ों का नारा गूंजने लगा था। गाजीपुर भी इस नारे से अछूता नहीं रहा 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी की गिरफ्तारी के साथ ही आजादी के दिवानों की बेचैनी बढ़ गई थी। करो या मरो का नारा देश भर में अपना रंग दिखाने लगा। जिसका गहरा असर गाजीपुर के नौजवानों पर भी पड़ा।ये स्तंभ शहीदों की याद में बनवाया गया। जो गाजीपुर के लोगों को उनकी याद दिलाता है।मोहम्मदाबाद तहसील कार्यालय पर तिरंगा फहराने पहुंचेवीर शहीद शिव पूजन राय के नेतृत्व में 18 अगस्त 1942 के दिन बड़ी संख्या में देशभक्तों का जत्था मोहम्मदाबाद तहसील कार्यालय पर तिरंगा फहराने के लिए पहुंच गया। श्रीराम राय बताते है मोहम्दाबाद तहसील की इमारत उन दिनों अंग्रेजों के कब्जे में थी। इस इमारत पर तिरंगा फहराने और इस इमारत में बंद अंग्रेजों के खजाने पर कब्जा करने के लिए सैकड़ों वीर निकल पड़े। वहीं अंग्रेज अफसरों की गोलियां उन पर लगातार बरस रही थीं।आजादी का तिरंगा फहराने वाले शहीदों का विजय स्तंभ। जिनपर सभी का नाम लिखा गया।8 सपूत शहीद हुए और तहसील कार्यालय पर लहराने लगा तिरंगासरफरोशी की तमन्ना दिल में लिए ये सपूत आगे बढ़ते रहे और गोलियां खाकर गिरते रहे। लेकिन तिरंगे को गिरने नहीं दिया। 8 सपूत शहीद हो गए लेकिन तहसील कार्यालय पर तिरंगा लहराने लगा। यहां के लोग आज भी इन शहीदों द्वारा तहसील पर फहराये गए उस तिरंगे को अपनी बहुमूल्य धरोहर की तरह संजोये हुए है। आज भी उस समय अंग्रेजों द्वारा चलाई गयी गोलियों के निशान तिरंगे पर साफ नजर आते हैं।यही वह तहसील है जहां उन आठ शहीदों ने मरते-मरते तिरंगा लहरा दिया था।पूरे पूर्वांचल में आजाद भारत के नारे के साथ गूंजी शहादतइन 8 शहीदों में शिवपूजन राय, वंशनारायण राय, वशिष्ठ राय, नारायण राय, वंश नारायण राय, राज नारायण राय, रामबदन उपाध्याय, ऋषीश्वर शामिल थे। इन 8 शहीदों में आजतक मात्र 2 ही शहीद शिवपूजन राय और वंशनारायण राय की ही तस्वीर उपलब्ध हो पाई है। जिनकी मूर्ति शहीद पार्क में लगी है। 6 लोगों की तस्वीर उपलब्ध नहीं होने के कारण इन शहीदों का सिर्फ नाम ही लोग जान पाये।बताते हैं इन्ही आठों वीरों की शहादत के बाद जो चिंगारी भड़की वह पूरे पूर्वांचल में आजाद भारत के नारे के साथ गूंजी। इन शहीदों से प्रेरण लेकर ही बलिया को आजाद कराया गया। आज भी इन 8 शहीदों की कुर्बानी गाजीपुर के लोगों को देशभक्ति की सच्ची प्रेरणा दे रही है।

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