राजधानी की वायु गुणवत्ता प्रबंधन को लेकर हुई मीटिंग में सीएम रेखा गुप्ता ने दिए निर्देश
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता प्रबंधन को लेकर मंगलवार को दिल्ली सचिवालय में सीएम रेखा गुप्ता ने पर्यावरण विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें उन्होंने निर्देश दिया कि मानसून को छोड़कर पूरे साल दिल्ली भर में 1000 वॉटर स्प्रिंकलर और 140 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन तैनात रहेंगी। ये अलग-अलग क्षेत्रों में धूल को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव करेंगी।
बैठक में वायु गुणवत्ता में सुधार, हरित आवरण बढ़ाने और पर्यावरणीय नीति 2025-26 लागू करने को लेकर गहन समीक्षा हुई। इसमें सीएम ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। निर्माण स्थलों और वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर सख्ती के लिए संबंधित विभागों को निर्देश दिए। बैठक में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा भी मौजूद रहे। सीएम ने कहा, वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एमसीडी, एनडीएमसी, डीडीए सहित अन्य विभागों को साथ लेकर काम किया जा रहा है। ऊंची इमारतों के लिए निर्देश दिए गए हैं कि इनकी छतों पर स्प्रिंकलर सिस्टम अनिवार्य रूप से लगेंगे। सभी निर्माण स्थलों को अब अपनी साइट्स पर स्प्रिंकलर सिस्टम और नियमित जल छिड़काव की व्यवस्था करनी होगी।
अब 500 वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल वाली सीएंडडी साइट्स को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के वेब पोर्टल पर अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करना होगा। इस व्यवस्था के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बड़े निर्माण स्थलों पर धूल और कचरे से उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक मानकों का पालन किया जाए। 200-500 वर्ग मीटर तक की निर्माण साइट्स को भी डस्ट कंट्रोल नॉर्म्स का पालना करना अनिवार्य होगा। इसके कार्यान्वयन के लिए एमसीडी को निर्देश दिए गए हैं।
पीयूसी केंद्रों का ऑडिट किया जाएगा
सीएम ने बताया कि सभी पीयूसी केंद्रों का ऑडिट किया जाएगा और यदि कोई पीयूसी गलत सर्टिफिकेशन करेगा तो संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए है उनपर भारी जुर्माना लगाया जाए। उम्र पार कर चुके वाहनों पर निगरानी के लिए पेट्रोल पंपों पर 495 एएनपीआर (स्वचालित नंबर प्लेट पहचान) कैमरे लगा दिए गए हैं। दिल्ली के सभी बॉर्डर एंट्री पॉइंट्स पर भी एएनपीआर कैमरे लगाए जा रहे हैं। इस तकनीक से सरकार रीयल-टाइम में यह ट्रैक कर सकेगी कि शहर में कितने ई-वाहन चल रहे हैं।
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