50F64F81645A2A453ED705C18C40448C
हेडलाइंस
छोटी सी सुपारी बना देगी बड़े-बड़े काम, करें ये 3 चमत्कारी उपाय Bihar Weather: Temperature Dropped Due To Icy Winds In Many Districts Including Patna; Know Weather Condition - Amar Ujala Hindi News Live Mahakumbh 2025 Flood Of Faith On Coast Of Triveni 3.5 Crore Devotees Took A Dip Amrit Snan Shahi Snan - Amar Ujala Hindi News Live Rajgarh News: बेवफा पत्नी की दास्तान सुनाई और लगा लिया मौत को गले, युवक ने इंस्टाग्राम पर बयां किया दुख Rajasthan News: Asaram Reached Ashram After Interim Bail, Got Relief From Court Till 31st March For Treatment - Amar Ujala Hindi News Live Dc And Sp Reached Village Bharpur On Night Stay In Fatehabad, Girl Students Said- Road To College Is Bad - Amar Ujala Hindi News Live - Fatehabad:डीसी और एसपी रात्रि प्रवास पर गांव भरपूर पहुंची, छात्र... Who Will Himachal Bjp New Chief Preparations To Strike Ethnic And Regional Balance - Amar Ujala Hindi News Live इंग्लैंड के खिलाफ सिर्फ 3 भारतीयों ने किया है यह बड़ा करिश्मा, क्या इस बार फिर होगा चमत्कार आलिया संग काम के बाद इस एक्टर ने किया स्ट्रगल, इरफान खान को माना अपना खुदा, अब बन गया है OTT का 'महाराज' Garena Free Fire MAX Redeem Codes: फ्री फायर के लेटेस्ट रिडीम कोड्स में मिलेंगे Gloo Wall समेत कई फ्री आइटम

क्या आप जानते हैं बद्रीनाथ धाम का नाम कैसे पड़ा? जानिए उसके नामकरण से जुड़ी कथा

Badrinath Dham: 8 मई से बद्रीनाथ धाम के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार चारो धामों में से एक बद्रीनाथ धाम को बद्रीनारायण के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्तराखंड के चमोली जनपद में अलकनंदा नदी केत तट पर स्थित है। यहां श्री हरि विष्णु विराजमान है। यहां जो प्रतिमा भगवान की विराजमान है वह शालीग्राम से बनी हुई है। लोगो का मानना है कि बद्रीनाथ धाम के दर्शन करने वाले भक्त केदारनाथ में शिवजी के दर्शन करने के बाद यहां आकर विष्णु जी के दर्शन कर अपने पापों से मुक्ति पाते हैं। हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथ विष्णु पुराण, स्कंद पुराण, महाकाव्य महाभारत जैसे ग्रंथो में इस मंदिर का उल्लेख किया गया है, जो इसके प्राचीन होने की गाथा को बताता है।

इस पावन धाम का निर्माण 7वीं औैर 9वीं सदी में हुआ था। भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जिनके साथ रहस्य जुड़े हैं। लेकिन ऐसे मंदिर बहुत कम है जिनके साथ कहावतें जुड़ी है। इन्हीं मंदिरों में से एक बद्रीनाथ मंदिर भी है। जिसके साथ एक कहावत जुड़ी है जो यह है – जो आए बद्री आए, वो न आए ओदरी। इस कहावत का क्या महत्व है यह बहुत कम लोग जानते हैं। तो आइए सबसे पहले इस कहावत का अर्थ समझते हैं फिर इससे जुड़े नामकरण की धार्मिक कथा को जानेंगे।

मान्यताओं के अनुसार कहावत का मतलब है कि जो मनुष्य एक बार बद्रीनाथ धाम के दर्शन कर लेता है। उसे फिर दोबार गर्भ में नहीं आना पड़ता। यानि की एक बार मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद दूसरी बार मनुष्य जन्म नहीं लेना पड़ता है। शास्त्रों में कहा गया है कि व्यक्ति के कम से कम दो बार अपने जीवन में बद्रीनारायण मंदिर की यात्रा जरुर करनी चाहिए।

बद्रीनाथ धाम के नामकरण की कथा

ऐसा कहा जाता है कि अलग-अलग युगों में इस पवित्र धाम के विभिन्न नाम प्रचलित रहे है। लेकिन अब कलयुग में इस धाम को बद्रीनाथ धाम के जाना जाता है। इस पवित्र स्थल का यह नाम यहां अधिक संख्या में मौजूद बेर के वृक्ष होने के कारण पड़ा है। लेकिन इस मंदिर के बद्रीनाथ के नामकरण के पीछे एक धार्मिक कथा भी है जो कि ये है

प्राचीन समय की बात है एक बार नागद मुनी भगवान विष्णु के दर्शन करने के लिए क्षीरसागर पहुंचे थे लेकिन वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु के पैर दबा रही है। इस बात से आश्चर्य होकर नारद मुनी ने भगवान विष्णु से पूछा तो विष्णु ने इस बात के लिए स्वयं को दोषी पाया और वे तपस्या के लिए हिमालय चले गए। तपस्या के दौरान जब विष्णु योग ज्ञान मुद्रा में लीन थे तब उन पर बहुत अधिक हिमपात होने लगा। जिसके कारण वे पूरी तरह बर्फ से ढक गए थे। उनकी इस हालत को देखकर माता लक्ष्मी बहुत दुखी हुई थी। वे खुद भगवान विष्णु के पास गई और स्वयं बद्री का पेड़ बनकर खडी़ हो गईं। इसके बाद सारा हिमपात बद्री के पेड़ पर गिरने लगा। इसके बाद जब तक भगवान विष्णु जब तक तप करते रहे तब तक मां लक्ष्मी धूप, बारिश और बर्फ से विष्णु की रक्षा करने के लिए पेड़ बनकर खड़ी रहीं।

अपनी तपस्या के बाद जब कई वर्षों भगवान विष्णु की आंखें खुली तो उन्होंने माता लक्ष्मी को बर्फ से ढका हुआ पाया। जब नारायण ने लक्ष्मा मां से कहा कि हे देवी आपने मेरे बराबर ही तप किया है। इसलिए आज से इस धाम में मेरे साथ-साथ तुम्हारी भी पूजा की जाएगी। आपने बेर यानी कि बद्री के पेड़ के रुप में मेरी रक्षा की है इसलिए ये धाम बद्रीनाथ के नाम से जग में जाना जाएगा।

549180cookie-checkक्या आप जानते हैं बद्रीनाथ धाम का नाम कैसे पड़ा? जानिए उसके नामकरण से जुड़ी कथा
Artical

Comments are closed.

छोटी सी सुपारी बना देगी बड़े-बड़े काम, करें ये 3 चमत्कारी उपाय     |     Bihar Weather: Temperature Dropped Due To Icy Winds In Many Districts Including Patna; Know Weather Condition – Amar Ujala Hindi News Live     |     Mahakumbh 2025 Flood Of Faith On Coast Of Triveni 3.5 Crore Devotees Took A Dip Amrit Snan Shahi Snan – Amar Ujala Hindi News Live     |     Rajgarh News: बेवफा पत्नी की दास्तान सुनाई और लगा लिया मौत को गले, युवक ने इंस्टाग्राम पर बयां किया दुख     |     Rajasthan News: Asaram Reached Ashram After Interim Bail, Got Relief From Court Till 31st March For Treatment – Amar Ujala Hindi News Live     |     Dc And Sp Reached Village Bharpur On Night Stay In Fatehabad, Girl Students Said- Road To College Is Bad – Amar Ujala Hindi News Live – Fatehabad:डीसी और एसपी रात्रि प्रवास पर गांव भरपूर पहुंची, छात्राएं बोलीं     |     Who Will Himachal Bjp New Chief Preparations To Strike Ethnic And Regional Balance – Amar Ujala Hindi News Live     |     इंग्लैंड के खिलाफ सिर्फ 3 भारतीयों ने किया है यह बड़ा करिश्मा, क्या इस बार फिर होगा चमत्कार     |     आलिया संग काम के बाद इस एक्टर ने किया स्ट्रगल, इरफान खान को माना अपना खुदा, अब बन गया है OTT का ‘महाराज’     |     Garena Free Fire MAX Redeem Codes: फ्री फायर के लेटेस्ट रिडीम कोड्स में मिलेंगे Gloo Wall समेत कई फ्री आइटम     |    

9213247209
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9907788088