बोरवेल से बाहर निकलने के बाद अब कैसा है राहुल? अपोलो अस्पताल के आइसीयू में चल रहा इलाज छत्तीसगढ़ By Rehnews LTD On Jun 15, 2022 यह भी पढ़ें Champions Trophy 2025: सेमीफाइनल में पहुंचना तो बहुत दूर की… Feb 27, 2025 आपके के भी मंदिर से जूते चप्पल हो जाते हैं चोरी, तो समझ लें… Jul 2, 2022 जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के अंतर्गत ग्राम पिहरीद में गत शुक्रवार को बोरवेल के गड्ढे में गिरे 10 वर्षीय बालक राहुल ने आखिरकार जिंदगी की जंग जीत ली। 105 घंटे तक लगातार चले रेस्क्यू के बाद मंगलवार की रात 11.56 बजे उसे सुरक्षित निकाल लिया गया। ग्रीन कारिडोर बनाकर उसे बिलासपुर के अपोलो अस्पताल के आइसीयू में भर्ती कराया गया है। बुधवार सुबह उसको हल्का बुखार था। उसने खिचड़ी खाई और जूस भी पिया। उधर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शाम को अपोलो अस्पताल पहुंचे और राहुल से उसका हाल जाना। इस दौरान उसका हौसला भी बढ़ाया। गौरतलब है कि गत शुक्रवार को दोपहर में करीब तीन बजे रामकुमार उर्फ लालाराम साहू का बेटा राहुल खेलते-खेलते बोरवेल के खुले गड्ढे में गिर गया था। तब से उसे निकालने के लिए लगातार चले रेस्क्यू के बाद मंगलवार रात को सफलता मिली। इस पूरे अभियान में एनडीआरएफ व एसडीआरएफ और गुजरात की रोबोटिक टीम, जिला प्रशासन, पुलिस के साथ ही अंत में सेना के जवानों ने निर्णायक भूमिका निभाई। राह में आईं सभी बाधाएं कीं पार राहुल को बचाने के लिए बोरवेल से थोड़ी दूर से खोदाई शुरू की गई थी। करीब 65 फीट की खोदाई के बाद उस तक पहुंचने के लिए सोमवार से सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ था। सुरंग तैयार होने के बाद राहुल और रेस्क्यू टीम के बीच बड़ी-सी चट्टान आ गई। राहुल चट्टान के ऊपर था। ऐसे में उस तक पहुंचने के लिए चट्टान को हैंड ड्रिलिंग मशीन से पूरी सावधानी बरतते हुए काटा गया, ताकि राहुल को किसी प्रकार का नुकसान न हो। इसके चलते रेस्क्यू की गति धीमी हो गई थी, लेकिन जिस तरह से बीच-बीच में राहुल की हलचलें मिल रही थीं, उससे रेस्क्यू टीम को हौसला बढ़ रहा था। गजब की जिजीविषा, सांप भी था पास सुनने और बोलने में अक्षम व मानसिक रूप से कमजोर राहुल ने इस विपत्ति के समय जिस तरह की जिजीविषा दिखाई, वह अपने आप में अचंभित करने वाली है। बोरवेल में पानी भी भरने लगा था। गड्ढे में सांप भी आ गया था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। रेस्क्यू टीम की ओर से जब भी रस्सी के जरिये उस तक बिस्कुट, केला, जूस आदि पहुंचाया गया, उन्हें खाकर वह अपने सकुशल होने का संदेश देता रहा। हालांकि, भोजन नहीं कर पाने के कारण सोमवार से वह थोड़ा सुस्त हो गया था, बावजूद इसके हौसला नहीं खोया। आपरेशन में इनकी रही भूमिका राहुल को बचाने के लिए कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला, एसपी विजय अग्रवाल के साथ चार आइएएस, दो आइपीएस, एक एएसपी, दो डिप्टी कलेक्टर, पांच तहसीलदार, चार डीएसपी, आठ इंस्पेक्टर समेत रायगढ़, दुर्ग, बिलासपुर से भी बचाव दल लगा रहा। साथ ही पुलिस के करीब 120 जवान तैनात थे। इसके अलावा 32 एनडीआरएफ, 15 एसडीआरएफ और सेना के जवान दिन-रात एक किए रहे। लगभग 500 अधिकारियों-कर्मचारियों की फौज भी मौजूद रही। बचाव कार्य से संबंधित सूचना के आदान-प्रदान के लिए जनसंपर्क विभाग के दो अधिकारियों की टीम भी मौजूद रही। मुख्यमंत्री ने लगातार रखी नजरराहुल के बचाने के लिए चलाए गए रेस्क्यू पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार नजर रखे हुए थे। वह स्थानीय कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला समेत प्रशासन के अन्य अधिकारियों से संपर्क कर राहुल को बचाने में कोई भी कसर बाकी नहीं रखने का निर्देश देते रहे। Like0 Dislike0 5844500cookie-checkबोरवेल से बाहर निकलने के बाद अब कैसा है राहुल? अपोलो अस्पताल के आइसीयू में चल रहा इलाजyes
जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के अंतर्गत ग्राम पिहरीद में गत शुक्रवार को बोरवेल के गड्ढे में गिरे 10 वर्षीय बालक राहुल ने आखिरकार जिंदगी की जंग जीत ली। 105 घंटे तक लगातार चले रेस्क्यू के बाद मंगलवार की रात 11.56 बजे उसे सुरक्षित निकाल लिया गया। ग्रीन कारिडोर बनाकर उसे बिलासपुर के अपोलो अस्पताल के आइसीयू में भर्ती कराया गया है। बुधवार सुबह उसको हल्का बुखार था। उसने खिचड़ी खाई और जूस भी पिया। उधर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शाम को अपोलो अस्पताल पहुंचे और राहुल से उसका हाल जाना। इस दौरान उसका हौसला भी बढ़ाया। गौरतलब है कि गत शुक्रवार को दोपहर में करीब तीन बजे रामकुमार उर्फ लालाराम साहू का बेटा राहुल खेलते-खेलते बोरवेल के खुले गड्ढे में गिर गया था। तब से उसे निकालने के लिए लगातार चले रेस्क्यू के बाद मंगलवार रात को सफलता मिली। इस पूरे अभियान में एनडीआरएफ व एसडीआरएफ और गुजरात की रोबोटिक टीम, जिला प्रशासन, पुलिस के साथ ही अंत में सेना के जवानों ने निर्णायक भूमिका निभाई। राह में आईं सभी बाधाएं कीं पार राहुल को बचाने के लिए बोरवेल से थोड़ी दूर से खोदाई शुरू की गई थी। करीब 65 फीट की खोदाई के बाद उस तक पहुंचने के लिए सोमवार से सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ था। सुरंग तैयार होने के बाद राहुल और रेस्क्यू टीम के बीच बड़ी-सी चट्टान आ गई। राहुल चट्टान के ऊपर था। ऐसे में उस तक पहुंचने के लिए चट्टान को हैंड ड्रिलिंग मशीन से पूरी सावधानी बरतते हुए काटा गया, ताकि राहुल को किसी प्रकार का नुकसान न हो। इसके चलते रेस्क्यू की गति धीमी हो गई थी, लेकिन जिस तरह से बीच-बीच में राहुल की हलचलें मिल रही थीं, उससे रेस्क्यू टीम को हौसला बढ़ रहा था। गजब की जिजीविषा, सांप भी था पास सुनने और बोलने में अक्षम व मानसिक रूप से कमजोर राहुल ने इस विपत्ति के समय जिस तरह की जिजीविषा दिखाई, वह अपने आप में अचंभित करने वाली है। बोरवेल में पानी भी भरने लगा था। गड्ढे में सांप भी आ गया था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। रेस्क्यू टीम की ओर से जब भी रस्सी के जरिये उस तक बिस्कुट, केला, जूस आदि पहुंचाया गया, उन्हें खाकर वह अपने सकुशल होने का संदेश देता रहा। हालांकि, भोजन नहीं कर पाने के कारण सोमवार से वह थोड़ा सुस्त हो गया था, बावजूद इसके हौसला नहीं खोया। आपरेशन में इनकी रही भूमिका राहुल को बचाने के लिए कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला, एसपी विजय अग्रवाल के साथ चार आइएएस, दो आइपीएस, एक एएसपी, दो डिप्टी कलेक्टर, पांच तहसीलदार, चार डीएसपी, आठ इंस्पेक्टर समेत रायगढ़, दुर्ग, बिलासपुर से भी बचाव दल लगा रहा। साथ ही पुलिस के करीब 120 जवान तैनात थे। इसके अलावा 32 एनडीआरएफ, 15 एसडीआरएफ और सेना के जवान दिन-रात एक किए रहे। लगभग 500 अधिकारियों-कर्मचारियों की फौज भी मौजूद रही। बचाव कार्य से संबंधित सूचना के आदान-प्रदान के लिए जनसंपर्क विभाग के दो अधिकारियों की टीम भी मौजूद रही। मुख्यमंत्री ने लगातार रखी नजरराहुल के बचाने के लिए चलाए गए रेस्क्यू पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार नजर रखे हुए थे। वह स्थानीय कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला समेत प्रशासन के अन्य अधिकारियों से संपर्क कर राहुल को बचाने में कोई भी कसर बाकी नहीं रखने का निर्देश देते रहे।
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