मंदसौर: जुल्म करना हिंसा है तो जुल्म को सहना महाहिंसा है। इसलिए हिंसा अनीति और जुल्म का प्रतिकार करना सच्ची अहिंसा है। ये विचार राष्ट्र संत श्री कमलमुनि जी कमलेश ने जीवागंज स्थानक में कहें। आपने कहा कि आक्रमक कार्रवाई हिंसा है और रक्षात्मक कार्रवाई अहिंसा है, तो हमें कितना भी कठोर से कठोर कदम क्यों ना उठाना पड़े वो अहिंसा की परिधि में ही आता है। कायर व्यक्ति अहिंसा का पालन नहीं कर सकता है। वह नादान अहिंसा के सच्चे अर्थों से अनभिज्ञ है अज्ञानी है।राष्ट्रसंत कमलमुनि ने कहा कि निडर निर्भीक और क्रांतिकारी व्यक्ति ही अहिंसा का पालन कर सकता है। होती हुई हिंसा को देखकर जो हाथ पर हाथ धरे मूकदर्शक बनकर कर्मों की अहिंसा की दुहाई देता है वह अहिंसा को कलंकित और बदनाम कर रहा है। मुनि ने कहा कि अपने प्राणों की परवाह न करते हुए कफन का टुकड़ा सिर पर बांधकर हिंसा को रोकने के लिए अपने प्राणोंको न्योछावर कर देता वही सच्चा अहिंसा वादी कहलाने का अधिकारी है । उन्होंने कहा कि अहिंसा की महाशक्ति ही विश्व को विनाश से बचाने की क्षमता रखती है। धर्म जाति और देश की रक्षा के लिए आन बान शान के लिए निर्दोष को बचाने के लिए उठाया गया कठोर से कठोर कदम अहिंसा वादी आध्यात्मिक अहिंसक सैनिक के रूप में काम करता है।
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6954000cookie-checkजुल्म करना हिंसा है तो जुल्म सहना महाहिंसा है
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