पॉक्सो, दुष्कर्म तथा अपहरण के अपराध में दोषी करार देते हुए दी गई सजा के खिलाफ अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने पाया कि पीड़िता ने स्वयं स्वीकार किया कि आरोपी द्वारा शादी से इनकार करने पर उसने एफआईआर दर्ज करवाई थी। पीड़िता की जन्मतिथि से संबंधित कोई प्रामाणिक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया था। उसके माता-पिता के अनुसार वह घटना के समय बालिग थी। इन तथ्यों के आधार पर न्यायालय ने अपीलकर्ता की सभी सजाएं निरस्त कर दीं।

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