
अदालत प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : एएनआई
विस्तार
अलीगढ़ के क्वार्सी इलाके में हवाई अड्डे के पास भूड़ा किशनगढ़ी के ग्रामीण की हत्या में दस वर्ष बाद फैसला आया है। अदालत में घटना के चश्मदीद गवाहों के पक्षद्रोही होने और पुलिस की कहानी से आरोप साबित न हो पाने पर चार आरोपियों को बरी किया गया है। अपर सत्र न्यायालय से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता नीरज चौहान के अनुसार, यह घटना 3 जून 2014 की है। गांव भूड़ा किशनगढ़ी के मुरारी लाल की हत्या के संबंध में गांव के राकेश ने मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें कहा था कि मुरारीलाल ऑटो से जा रहे थे। तभी दो बाइक सवारों ने पीछा कर रास्ते में ऑटो से पीटकर उतार लिया और अपने साथ ले गए। बाद में उनका शव मिला। मामले में हत्या होना पाया गया और गांव के दो अन्य चश्मदीदों की गवाही के आधार पर गांव के शीलेंद्र, प्रमोद और बाबा कॉलोनी के संतोष व सुशील के नाम प्रकाश में आए। पुलिस ने विवेचना के आधार पर चार्जशीट दायर की।
विवेचना में उजागर हुआ कि खेत की कटाई से जुड़े विवाद में हत्या हुई है। मगर सत्र परीक्षण के दौरान चश्मदीद गवाह बताए गए दोनों गांव के व्यक्ति पक्षद्रोही हो गए। परिवार के गवाहों की ओर से किसी के द्वारा खुद अपनी आंखों से आरोपियों को देखा जाना नहीं स्वीकारा गया। वहीं पुलिस की कहानी भी आरोप साबित न कर सकी। नीरज चौहान के अनुसार इसी आधार पर चारों को बरी किया गया है।

Comments are closed.