After The High Court’s Rebuke, The Government Handed Over The Land Of Delhi-katra Expressway To Nhai – Chandigarh News

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
पंजाब में 10 राष्ट्रीय राजमार्ग पर 13,190 करोड़ की लागत से प्रोजेक्ट के लिए भूमि का कब्जा लेने में बाधा बनने वालों से निपटने की व्यवस्था पर हाईकोर्ट की फटकार के बाद पंजाब सरकार हरकत में आ गई है। पंजाब के मुख्य सचिव ने हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर कर बताया कि दिल्ली कटड़ा एक्सप्रेस वे के लिए मालेरकोटला, पटियाला, संगरूर, जालंधर और कपूरथला की शत प्रतिशत जमीन का कब्जा नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को दे दिया गया है।
मुख्य सचिव अनुराग वर्मा ने कोर्ट को बताया कि पंजाब में एनएचएआई के 1,344 किलोमीटर के कुल 37 प्रोजेक्ट हैं। 318 किलोमीटर के 11 प्रोजेक्ट के लिए पूरी जमीन एनएचएआई को दी जा चुकी है। 184.5 किलोमीटर लंबाई के पांच प्रोजेक्ट हैं, अभी तक 136.44 किलोमीटर निर्माण के लिए भूमि का कब्जा दिया जा चुका है। 182.56 किलोमीटर लंबाई के पांच अन्य प्रोजेक्ट के लिए 115.78 किलोमीटर निर्माण के लिए भूमि का कब्जा दे दिया है। अन्य 11 प्रोजेक्ट के लिए 80 प्रतिशत जमीन का कब्जा एनएचएआई को दिया जा चुका है। कुछ मामलों में विवाद है, लेकिन उसका भी जल्द निपटारा कर लिया जाएगा। मुख्य सचिव ने बताया कि दिल्ली अमृतसर कटरा एक्सप्रेस वे के लिए मालेरकोटला, पटियाला, संगरूर, जालंधर और कपूरथला की शत प्रतिशत जमीन का कब्जा दे दिया गया है। कुछ प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक कुछ जमीन पर फसल खड़ी है, यह कटते ही कब्जा दिला दिया जाएगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि बॉर्डर राज्य होने के चलते सरकार पुलिस फोर्स इस्तेमाल करने से बच रही है, क्योंकि इससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। मिल बैठक कर इसका हल निकाला जा रहा है। दिल्ली कटड़ा एक्सप्रेस वे के लिए भूमि उपलब्ध करवाने को लेकर प्राथमिकता के आधार पर काम किया जा रहा है। हाई कोर्ट ने इस हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेते हुए सुनवाई 20 सितंबर तक स्थगित कर दी है।
एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई का निर्देश दिया था
एनएचएआई ने याचिका दाखिल करते हुए कोर्ट को बताया था कि भूमि न मिलने से दिल्ली-कटड़ा एक्सप्रेस वे, लुधियाना रूपनगर से खरड़ हाईवे व लुधियाना-बठिंडा हाईवे का कार्य लंबित है। हाई कोर्ट ने गत वर्ष अक्तूबर में आदेश दिया था कि एनएचएआई संबंधित अधिकारी को अधूरी व लंबित परियोजनाओं की सूची उपलब्ध कराएं और मुख्य सचिव सक्षम प्राधिकारी को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश जारी करें। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि दो महीने के भीतर बाधा मुक्त कब्जा एनएचएआई को दिलाया जाए। अब हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर एनएचएआई ने बताया कि आदेश के बावजूद भूमि का कब्जा नहीं दिलाया जा रहा है, जिसके बाद हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव से इस मामले में जवाब तलब किया था।

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