प्लेन मैन्यूफैक्चरर कंपनी एयरबस के सीईओ गियौम फाउरी ने कहा कि भारत से उसके कलपुर्जों तथा सेवाओं की सालाना आपूर्ति में भारी वृद्धि होगी और 2030 से पहले यह दो अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी। एयरबस वर्तमान में भारत से हर साल 1.4 अरब अमेरिकी डॉलर के कलपुर्जे तथा सेवाएं प्राप्त करता है। भारत विश्व के सबसे तेजी से बढ़ते नागर विमानन बाजारों में से एक है। फाउरी ने विकास की दृष्टि से भारत को एयरबस के लिए सबसे महत्वपूर्ण बाजारों में से एक बताते हुए कहा कि विमान मैन्यूफैक्चरिंग के लिए चुनौती भारत में विमानन उद्योग के विकास की गति से तालमेल बैठाना है।
भारतीय एयरलाइंस से मिले 1300 प्लेन के ऑर्डर
एयरबस को भारतीय विमानन कंपनियों से 1,300 से अधिक विमानों के ऑर्डर मिले हैं। केवल इंडिगो से ही 900 से अधिक विमान के ऑर्डर मिले हैं जिनमें चौड़े आकार वाले ए350 भी शामिल हैं। इनमें एयर इंडिया से 50 और इंडिगो से 30 ए350 के ऑर्डर भी हैं। भारत में वर्तमान में करीब 700 एयरबस विमान परिचालन में हैं। एयरबस के सीईओ ने मंगलवार को टूलूज में एयरबस शिखर सम्मेलन 2025 के अवसर पर भारतीय पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘ हम सप्लाई बेस बढ़ा रहे हैं, हम आज भारत से 1.2 से 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर (कलपुर्जों तथा सेवाओं के मूल्य) की खरीद कर रहे हैं। यह 2030 से पहले करीब दो अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएंगी।’’
एयरबस की है भारत में महत्वपूर्ण उपस्थिति
एयरबस की भारत में महत्वपूर्ण उपस्थिति है। इसकी वेबसाइट पर मौजूद जानकारी अनुसार, इसके विभिन्न प्लांट्स में 3,600 से अधिक कर्मचारी हैं तथा इसकी सप्लाई चेन के माध्यम से 15,000 से अधिक नौकरियां पैदा होती हैं। फाउरी ने कहा, ‘‘मैं देख रहा हूं कि अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और व्यापार की वृद्धि काफी परिष्कृत प्रणालियों पर आधारित है। भारत में इन पर फिर से काम कर इन्हें और अनुकूलित किया जा सकता है तथा भारत में ही निर्मित किया जा सकता है। डायनामैटिक, टाटा और महिंद्रा के साथ हम यही कर रहे हैं।’’
(पीटीआई/भाषा)
