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Can Stress Cause PCOS: व्यक्ति के लिए समस्या तब बढ़ जाती है जब किसी भी तरह का स्ट्रेस लंबे समय तक दिमाग में बना रहता है। ऐसा तनाव कई तरह की शारीरिक समस्याओं का कारण बनने लगता है। बता दें, महिलाओं में पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) का संबंध भी स्ट्रेस से पाया गया है।

Manju Mamgain लाइव हिन्दुस्तानMon, 14 Oct 2024 08:26 AM
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स्ट्रेस यानी तनाव, एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति को ना सिर्फ मानसिक रूप से बल्कि शारीरिक रूप से भी खोखला बनाने का काम करती है। यह बात ज्यादातर लोगों को पता होते हुए भी लोग इस समस्या से खुद को दूर नहीं रख पाते हैं और उम्र के हर पड़ाव पर किसी ना किसी रूप में तनाव से खुद को घिरा हुआ पाते हैं। उदाहरण के लिए कभी कार के लिए पार्किंग की जगह देखने का स्ट्रेस तो कभी मीटिंग की डेडलाइन मीट करने का स्ट्रेस। व्यक्ति के लिए समस्या तब बढ़ जाती है जब किसी भी तरह का स्ट्रेस लंबे समय तक दिमाग में बना रहता है। ऐसा तनाव कई तरह की शारीरिक समस्याओं का कारण बनने लगता है। बता दें, महिलाओं में पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) का संबंध भी स्ट्रेस से पाया गया है। डैफोडील्स बाय आर्टेमिस, ईस्ट ऑफ कैलाश अस्पताल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ. अपूर्वा गुप्ता कहती हैं कि पीसीओएस में ओवरी का आकार बढ़ जाता है और उसके किनारों पर छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं। इससे मासिक धर्म की अनियमितता, मुंहासे और मोटापे जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस समस्या की वजह से महिला को कई बार गर्भधारण करने तक में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

स्ट्रेस ऐसे डालता है असर

वैसे तो पीसीओएस का कोई स्पष्ट कारण नहीं है। लेकिन कई शोध बताते हैं कि स्ट्रेस और पीसीओएस में सीधा संबंध है। जब भी हम किसी चुनौती का सामना करने वाले होते हैं, तो हमारे शरीर को उस परिस्थिति के हिसाब से तैयार करने के लिए दिमाग कॉर्टिसोल हार्मोन स्रावित करता है। समस्या तब पैदा होती है, जब दिमाग लगातार उसी स्थिति को अनुभव करता है और शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है। इससे शरीर में कुछ ऐसे बदलाव होते हैं, जो पीसीओएस के लक्षणों को गंभीर कर सकते हैं।

-लंबे समय तक स्ट्रेस में रहने से कॉर्टिसोल डिसफंक्शन की समस्या हो सकती है। इससे शरीर में कई तरह के इन्फ्लेमेशन होते हैं, जो बाद में पीसीओएस के लक्षणों को बढ़ाते हैं।

– शरीर में कॉर्टिसोल ज्यादा होने से इंसुलिन का स्राव भी प्रभावित होता है। इससे महिलाओं में एंड्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने का खतरा बना रहता है, जिसे पुरुष हार्मोन भी कहा जाता है। इससे शरीर में कई तरह की अनियमितताएं होने लगती हैं।

– स्ट्रेस ज्यादा लेने की वजह से कई बार पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को गर्भधारण करने तक में ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

डॉक्टर की सलाह

दरअसल पीसीओएस और स्ट्रेस के बीच एक साइकिल बन जाता है। पीसीओएस के कारण स्ट्रेस बढ़ता है और ज्यादा स्ट्रेस से पीसीओएस के लक्षण गंभीर होते जाते हैं। सेहतमंद बने रहने के लिए इस साइकिल को तोड़ना जरूरी होता है। जिसमें सबसे पहले स्ट्रेस मैनेजमेंट की मदद ली जा सकती है। अपनी लाइफस्टाइल के हिसाब से अपने लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट के तरीके चुनिए और मन को शांत रखने की कोशिश करिए। यह जानने की कोशिश कीजिए कि कौन सी परिस्थितियां स्ट्रेस को ट्रिगर करती हैं और उनसे बचने का प्रयास कीजिए। इसके अलावा, थेरेपी और दवाइयों से भी पीसीओएस के लक्षणों को कम करने और स्ट्रेस से बचने में मदद मिलती है। अपनी लाइफस्टाइल में योग, ध्यान और प्राणायाम जैसी चीजों को जगह दें।



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