Analysis: Distribution Of Freebies, Unbalanced Distribution Of Budget Also Ruined The Situation, Himachal’s Po – Amar Ujala Hindi News Live
सत्ता पक्ष अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वित्तीय अनुशासन के कड़े फैसले लेने की बात कर रहा है तो विपक्ष राज्य सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप लगा रहा है।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर।
– फोटो : अमर उजाला
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हिमाचल प्रदेश की खराब अर्थव्यवस्था इन दिनों फिर बड़ा मुद्दा बन गई है। सत्ता पक्ष अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वित्तीय अनुशासन के कड़े फैसले लेने की बात कर रहा है तो विपक्ष राज्य सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप लगा रहा है। ऐसा हिमाचल के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि वेतन पांच तारीख और पेंशन 10 तारीख को देने की स्थिति पैदा हुई है। खुद मुख्यमंत्री ने कहा है कि बाजार से कर्ज उठाने की सीमा 2,317 करोड़ रुपये ही रह गई है। कर्ज के अनावश्यक ब्याज से बचने के लिए वेतन और पेंशन को थोड़े समय तक रोकना पड़ा है। पिछली देनदारियों को निपटाने के लिए कर्ज पर कर्ज लेना सरकार की परंपरागत मजबूरी बन गया है।
दशकों से राज्य में आमदनी के स्थायी स्रोत नहीं बन पाए। इसके लिए पिछली तमाम सरकारों की कोशिशें नाकाम ही साबित हुईं। सुक्खू सरकार को सत्ता में आए हुए अभी बीस महीने हुए हैं, पर इसे बड़ी आर्थिक तंगहाली से जूझना पड़ रहा है। हिमाचल के बनने के बाद बिजली परियोजनाएं स्थापित करने और उद्योगाें को लगाने के प्रयास हुए। पर्यटन और बागवानी के क्षेत्र से भी उम्मीद की गई, मगर राज्य देनदारियों के बोझ तले ही दबता रहा। यहां शुरू से ही आमदनी अठन्नी भी नहीं और खर्च रुपया की स्थिति बनी हुई है। मुफ्त की रेवड़ियां बांटना भी एक वजह है, मगर उससे भी ज्यादा बड़ा कारण आय के नाममात्र के स्रोतों का होना और उपलब्ध बजट का असंतुलित बंटवारा है।

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