Anisha From Swahwala Village Of Jalalabad Pass Hcs Judicial Services Exam In Haryana Became Judge – Amar Ujala Hindi News Live

जज बनी अनीशा का गांव में स्वागत।
– फोटो : संवाद
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इंसान को अपने जीवन में वह मुकाम हासिल करने का प्रयास करना चाहिए, जिससे स्वयं की अपनी पहचान बने। मामा, चाचा या पिता के नाम से अगर कोई पहचान बनाता है तो उसका कोई महत्व नहीं। अपनी योग्यता के बल पर यदि आप कोई महत्वपूर्ण पद प्राप्त कर लेते हो तो आप स्वयं अपनी पहचान बन जाओगे।
ऐसा ही कुछ कर दिखाया है पंजाब के जलालाबाद की बेटी अनीशा ने। पंजाब के जलालाबाद के गांव स्वाहवाला की अनीशा ने हरियाणा में एचसीएस ज्यूडीशियल (न्यायिक) सेवा परीक्षा पास की है। परीक्षा पास कर अनीशा जज बनी हैं। अनीशा ने मुश्किल वक्त में भी हार नहीं मानी और मुकाम हासिल करके दिखाया है।
गांव स्वाहवाला निवासी अनीशा ने बताया कि हरियाणा में एचसीएस ज्यूडीशियल (न्यायिक) सेवा परीक्षा हुई थी। परीक्षा परिणाम में अनीशा ने 55वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने बताया कि इससे पहले वह दो बार परीक्षा दे चुकी है। दूसरी बार अनीशा ने पंजाब में हुई परीक्षा भी पास कर ली थी, लेकिन इंटरव्यू में महज दो नंबर से रह गई थी।
नहीं मानी हार, जारी रखा प्रयास
अनीशा ने बताया कि उन्होंने हार नहीं मानी और अपना प्रयास जारी रखा। इस बार अनीशा ने हरियाणा में हुई परीक्षा को पास कर 55वां रैंक हासिल किया है। कड़ी मेहनत के बाद अनीशा को जज बनने का अवसर मिला है। जज बनकर घर लौटी अनीशा का और पारिवारिक सदस्यों और गांव निवासियों ने उसका भव्य स्वागत किया।
मन में ठाना बनना है अधिकारी
अनीशा ने बताया कि काफी समय पहले अचानक पिता जय चंद बीमार हो गए। उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ और वे बिस्तर पर थे। बीमारी की वजह से पिता की एक आंख की रोशनी भी चली गई थी। उनके इलाज में काफी पैसा भी खर्च हुआ। एक समय ऐसा आया कि पिता के इलाज के लिए उनके पास पैसे तक नहीं बचे थे। परिवार ऐसे दौर से गुजर रहा था कि जैसे सबकुछ खत्म हो गया हो। फिर भी इस मुश्किल भरे दौर से गुजरने के बाद अनीशा ने मन में ठानी कि वह कुछ करके दिखाएगी। ऐसा कुछ करेगी कि जिससे अपनी और परिवार की अलग पहचान बन सके। अनीशा ने तभी मन में ठाना कि उसे अधिकारी बनना है।
पिता बोले- बेटी की मेहनत रंग लाई
अनीशा के पिता जय चंद ने कहा कि उन्होंने अपनी बच्ची के लिए दिन में 18-18 घंटे वर्कशॉप पर काम किया। बेटी को आगे बढ़ाने के लिए बहुत मेहनत की। मकसद एक ही था कि बच्ची पढ़ लिखकर अपना मुकाम हासिल करे। आज वह दिन आखिरकार आ ही गया। बेटी और पिता की मेहनत रंग लाई है और उनकी बच्ची जज बन गई है। परिवार में बेहद खुशी का माहौल है। गांव के लोग बेटी और परिवार को बधाई दे रहे हैं। घर पर रिश्तेदारों समेत अन्य लोगों का तांता लगा हुआ है।

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