Bhopal News: Ghazal Got Its Destination In The Eighth Decade Of Age A Decorated Gathering Of Culture – Amar Ujala Hindi News Live

सजी कहकशां ए अदब की महफिल
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
आठ दशक के जिंदगी के सफर का एक तिहाई हिस्सा उन्होंने शेर ओ गजल के नाम कर दिया। मंचों से लेकर मेजखानों तक की रौनक बने उनके कलामत देश दुनिया के शायरी की समझ रखने वालों के सीनों में बसते हैं और जुबां पर थिरकते हैं। कहकशां ए अदब की अदबी महफिल के 22 बरस के सफर में कई मुकाम आए और गुजर गए। लेकिन, इस शनिवार की रात जिस शख्स के सिर एजाज का ताज सजाया गया, उसे महसूस कर ताज भी खुद की किस्मत पर झूम उठा।
दो दशक की परंपरा को निरंतर रखते हुए लक्ष्मी टॉकीज सराय में इस शनिवार रात को महफिल ए कहकशां ए अदब सजी। दस्तूर के मुताबिक महीने के मकबूल शायर को एजाज से नवाजा गया। इस बार यह सेहरा राजधानी भोपाल के उस्ताद शायर जफर सहबाई के नाम पर था। शहर के नामवर शायरों और अदीबो की गहमागहमी में डॉ अली अब्बास उम्मीद, डॉ महताब आलम, डॉ कमर अली शाह, अजीम असर, शिराज भोपाली, फारुख अंजुम, आरिफ अली आरिफ, शोएब अली समेत बड़ी जमात मौजूद थी। विधायक आतिफ अकील ने शॉल, प्रशस्ति पत्र सौंपते हुए जफर सहबाई के गले में पहली पुष्प माला डाली। इसके बाद हारों का जो सिलसिला शुरू हुआ तो गुंजाइश पूरी होने तक हार जफर सहबाई की तरफ बढ़ते ही रहे।
सजी महफिल ए खास
एजाज समारोह के बाद महफिल ए मुशायरा का आयोजन हुआ। जिसमें शहर के स्थापित शायरों से लेकर पहली बार पढ़ने वाले शायर तक अपने कलाम के साथ मौजूद थे। देर रात तक चलती रही इस महफिल में सीखने वाले शायर और सिखाने वाले उस्ताद शायर भी शामिल थे। विधायक आतिफ अकील समेत कई सियासी और शहर के अदब मिजाज से जुड़े लोग मौजूद थे।
आरिफ की परंपरा, अब बेटे आतिफ के हाथ
विधायक आतिफ अकील अपने पिता मरहूम आरिफ अकील की हर परम्परा को अपनाए हुए हैं। सराय में अपने मिलने आने वाले लोगों के लिए उपलब्ध रहने से लेकर विरासत में मिली सूमो कार में सफर करना वे अपने पिता आरिफ अकील से ही सीखे हैं। कव्वाली, मुशायरा महफिल, शरई कार्यक्रम से लेकर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज को भी आतिफ ने जिंदा रखा है।

Comments are closed.