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खगड़िया मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर मानसी प्रखंड स्थित बूढ़ी गंडक नदी के ऊपर बना बांस बल्ली की पुल पर करीब 15 हजार लोग निर्भर हैं। लोग इसी पुल के सहारे अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते हैं। इनको न तो कोई देखने वाला है और न ही इनकी पीड़ा को कोई सुनने वाला है। तीन गांव टीकारामपुर, सोनवर्षा और तौफीर गांव की आबादी चचरी पुल के सहारे हैं। जो प्रतिवर्ष छह माह बाढ़ के कारण जिला मुख्यालय से अलग हो जाते हैं।

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यानी ये गांव टापू में तब्दील हो जाता है। इन गांव में न तो चिकित्सा सेवा बेहतर है और न ही उनके लिए संसाधन ही हैं। शुक्रवार को आईपीएस शिवदीप लांडे ने इन गांव वालों के पास पहुंच उनकी पीड़ा को जाना। गांव के निवासियों की माने तो उनको अब इस तरह की जिंदगी जीने की आदत हो गई है। लोगों का कहना है कि जिला मुख्यालय से इतना करीब होने के बावजूद वे खुद को ठगा महसूस करते हैं। 

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छह माह बाढ़ में रास्ता होता है बंद

टीकारामपुर, सोनवर्षा और तौफीर गांव के लोग खगड़िया आने के लिए चचरी पुल का इस्तेमाल करते हैं। इस पर ये या तो पैदल चलते हैं या साइकिल और मोटरसाइकिल से शहर पहुंचते हैं। रोजमर्रा की चीजों के लिए इन लोगों को जान जोखिम में डालकर अपने-अपने गनत्वय तक जाना पड़ता है। लोगों की माने तो बाढ़ के समय में चचरी पुल टूट जाने से ये रास्ता छह महीने बंद हो जाता है। फिर इनके लिए नाव ही एक सहारा होता है।

बीमार मरीजों के लिए मुसीबत भरा है माहौल

गौरतलब है कि इन गांव के लोगों को सबसे ज्यादा कठिनाई बीमार लोगों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए होती है। अगर कोई वृद्ध बीमार पड़ता है तो वे लोग उनको बाइक पर जिला मुख्यालय लेकर आते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान उठाना पड़ता है। ग्रामीण साठो यादव ने बताया कि अगर किसी महिला को रात में डिलीवरी के लिए अस्पताल लाना होता है तो फिर मुसीबतों का पहाड़ टूट जाता है।

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आईपीएस ने लोगों के बीच पहुंच जाना हाल

इधर, खगड़िया पहुंचे आईपीएस शिवदीप लांडे ने जब इन गांवों में पहुंच लोगों का हाल जाना तो वे भी भावूक हो गए। लोगों ने बताया कि उनकी जिंदगी नर्क हो गई है। शिवदीप लांडे ने बताया कि वे बिहार को जनाने के लिए निकले हैं। ब्योरोक्रेसी में रहकर जो नहीं दिखता था, अब वह उनको मालूम पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अभी भी लोगों को कई मूलभूत सुविधाओं की जरूरत है।

वर्षों बाद पुल निर्माण कार्य से लोगों को है खुशी

बता दें कि मानसी के टिकारामपुर दियारा सहित अन्य गावों के लोगों को करीब आठ वर्षों से पुल बनने का इंतजार है। आठ वर्ष पहले गंडक नदी में पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। लेकिन असामाजिक लोगों के द्वारा ठेकेदार को भगा दिया गया था। तब से लेकर आज तक वे लोग इसी तरह चचरी के पुल पर आवागमण कर रहे हैं। इधर, बिहार सरकार के द्वारा एक बार फिर एनएच-31 की ओर से पुल निर्माण के लिए कार्य को शुरू किया गया है, जिससे लोगों में खुशी का माहौल है।

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खगड़िया बाजार पर है निर्भरता

गौरतलब है कि मानसी प्रखंड के मटिहानी घाट स्थित गंडक नदी के उसपार मुंगेर है। बांस बल्ली का यह पुल खगड़िया और मानसी को आपस में जोड़ता है। गंडक नदी के उसपार करीब 15 हजार की आबादी रहती है। जिनका चिकित्सा, शिक्षा, बाजार खगड़िया जिले के भरोसे है। मुंगेर जिला इस जगह से दूर होने के कारण लोगों की जीविका का भी मात्र एक साधन खगड़िया ही है। 



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