Bihar Dg: Ips Alok Raj Also Has Passion For Music, Know About Him, Bihar Dgp, Bihar Police News, Dgp Bihar – Amar Ujala Hindi News Live

आरएस भट्टी से डीजीपी का प्रभार लेते आलोक राज।
– फोटो : अमर उजाला डिजिटल
विस्तार
1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी आलोक राज को बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का प्रभार दिया गया। इसके साथ ही वह पहले की तरह ही विजिलेंस इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के डीजी पद भी बने रहेंगे। डीजी आलोक राज पुलिस की सारी जिम्मेदारी निभाते रहे हैं, लेकिन कड़ियल छवि कभी नहीं रही। वजह है उनकी शास्त्रीय संगीत साधना। उनके डीजीपी बनते ही भोले बाबा पर गाया उनका वीडियो गीत वायरल हो रहा है। ‘अमर उजाला’ के लिए कृष्ण बल्लभ नारायण और आदित्य आनंद से लंबी बातचीत में उन्होंने संगीत साधना की वजह बताई। यह इंटरव्यू लिया गया जब वह विजिलेंस के डीजी थे।
कर्तव्यपथ से अलग है शौक, इसलिए…
ज्यादातर अधिकारी तो मीडिया वालों को घर पर नहीं बुलाते हैं, लेकिन उन्होंने निजी आवास पर बुलाया। क्यों? जवाब दिया- कर्तव्य। कैसे? बिहार पुलिस के सबसे सीनियर आईपीएस अधिकारी आलोक राज कहते हैं कि “कार्यस्थल पर आपकी छवि सिर्फ जिम्मेदार-कर्तव्यनिष्ठ कर्मी की होनी चाहिए। वह कर्तव्यपथ है, जिसके साथ समझौता नहीं करता हूं। कार्यावधि और कार्यस्थल से अलग अपनी निजी दुनिया में आप खुद को अलग ढाल सकते हैं। जहां कोई बंधन नहीं होता। बंधन नहीं होता तो आप अपने शौक को जिंदा रख सकते हैं। मैं यह काम घर पर करता हूं। घर वाली बात यहीं होनी चाहिए।”
संगीत तो हर इंसान की जिंदगी में है
सीनियर आईपीएस अधिकारी आलोक राज का गाया गीत ‘ये भोला सबसे बड़ा है…’ अलग-अलग सोशल मीडिया पर चल रहा है। लोग टी-सीरीज़ के इस एलबम को ऑर्डर कर मंगा रहे हैं। संगीत की इस साधना पर वह कहते हैं- “संगीत तो हर इंसान की जिंदगी में होता है। अपने सुना जरूर होगा कि हर इंसान बाथरूम सिंगर जरूर होता है। कुछ सुख में गुनगुनाते हैं तो कोई दु:ख में भी नगमे गाता है। मुझे स्कूल-कॉलेज के समय फिल्मी गानों का बहुत शौक था। 20 अगस्त 1989 को जब आईपीएस के रूप में सेवा शुरू की तो यह सब किनारे हो गया। पुलिस का काम और जिम्मेदारी अलग होती है। करीब 22 साल तक उस छवि में बंधा रहा। फिर लगा कि कर्तव्यपथ की छवि अपनी जगह कायम रहे, लेकिन उसकी नकारात्मकता को दूर करने के लिए अपने शौक को परवान चढ़ाया जाए। दिसंबर 2011 में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा लेने लगा। बड़े अच्छे गुरुजी भी मिल गए। श्री अशोक कुमार प्रसाद के सानिध्य और मार्गदर्शन में संगीत का यह सफर निरंतर चल रहा है। और, मैं कहूंगा कि निश्चित तौर पर यह बहुत ही मधुर सफर है।”
छह साल रियाज के बाद गाया अलबम में
राज्य में सेवारत सबसे सीनियर आईपीएस अधिकारी के घर में उनके अलबम करीने से रखे मिले। सभी टी-सीरीज़ के ही हैं, लेकिन हरेक अलबम की कहानी अलग है। हमने उनसे उन कहानियों को भी जाना। उन्होंने बताया- “छह साल रियाज किया, तब जाकर अलबम के रूप में गाने की शुरुआत की। 2017 में आया पहला अलबम- ‘साईं रचना’। उसके बाद देश के विख्यात गीतकार और कवि पद्मभूषण गोपालदास नीरज से अलीगढ़ जाकर मिला। उनके गानों का राइट्स लिया और फिर अलबम रिलीज हुआ- ‘नीरज के गीत रिलीज’ हुआ। इसे लोगों ने पसंद किया तो मैंने विख्यात शायर और कवि दुष्यंत कुमार जी के पुत्र से मुलाकात की। उनसे अनुमति लेकर मैंने दुष्यंत कुमार के गजलों का भी अलबम किया। पिछले साल सावन में कबीर भजन का अलबम रिलीज हुआ और इस बार बाबा भोलेनाथ का भजन रिलीज हुआ।
पुलिस में होकर ऐसी छवि क्यों बनाई
इस सवाल का जवाब उन्होंने बड़ी स्पष्टता के साथ दिया। कहा- “दोनों छवि अलग हैं। कार्यस्थल पर यह सौम्य छवि नहीं और संगीत-साधना के दरम्यान पुलिस वाला असर नहीं रखता। मेरा यह मानना है कि संगीत इंसान के व्यक्तित्व को पूर्ण करता है। मैं एक पुलिस ऑफिसर हूं। पुलिस सेवा में एक नकारात्मकता आती है, नेगेटिविटी आती है… वह अस्वाभाविक नहीं है। ऐसे ही केस, ऐसी ही परिस्थिति से पाला पड़ता है वहां। पुलिस की नौकरी, वर्क स्टाइल और अंतत: इसके कारण हुआ तनाव व्यक्ति पर हावी हो जाता है। इंसान तो इंसान ही है। आप महसूस करते होंगे कि पुलिस ऑफिसर तनावग्रस्त रहते हैं और उनके आचरण में चिड़चिड़ाहट आ जाती है। गुस्सा स्वाभाविक तौर पर आता रहता है। इसलिए, मेरा यह मानना है कि कला ही एक माध्यम है, जिससे सहनशीलता बढ़ती है। क्रिएटिविटी बढ़ती है और निगेटिविटी कम होती है। खराब या गलत काम करने से भी यह भाव रोकता है।”
हरेक के लिए सीख है टाइम मैनेजमेंट
समय कैसे निकालते हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हरेक को समय प्रबंधन का ख्याल करना चाहिए। कहते हैं- “विशेष तौर पर युवाओं को बताना चाहता हूं कि सबसे पहले आप अपने पैशन को तो जरूर जिंदा रखिए। नौकरी जिंदगी का एक पड़ाव है, एक अध्याय है, एक चैप्टर है। इसके बाद भी आपका जीवन है और इसके पहले भी आपका जीवन रहा है। तो ऐसी स्थिति में आपको अपने पैशन को जीने के लिए, अपने पैशन को प्राप्त करने के लिए टाइम मैनेजमेंट का हुनर सीखना पड़ेगा। जैसे मेरे लिए संगीत एक पैशन है तो इसके लिए मैं समय निकलता हूं। मैं मॉर्निंग वॉक के साथ एक्सरसाइज भी करता हूं और रियाज भी करता हूं। समय पर ऑफिस भी पहुंच जाता हूं। ऑफिस से लौटने के बाद यदि मौका लगा तो रियाज किया, अन्यथा शनिवार-रविवार को अभ्यास करना नहीं छोड़ता। कई बार तो छुट्टियों के दिन भी गुरुजी को बुलाकर कुछ सीखता हूं। यदि आप टाइम निकालना सीख जाएंगे तो यह आपके व्यक्तित्व और आपकी रूटीन का हिस्सा बन जाएगा। आप टाइम निकाल कर अपने जीवन को जी सकेंगे और इससे हासिल पॉजिटिविटी के जरिए आप अपने प्रोफेशनल लाइफ को भी सही दिशा दे सकेंगे।
कुछ नया गाने का मौका नहीं छोड़ता
बातें चल रही थीं तो हमारी नजर अलग-अलग संस्थानों, संगठनों, संस्थाओं से मिले दर्जनों प्रतीक चिह्नों पर गई। इसपर पूछा तो कहने लगे- “मैंने मंचीय प्रस्तुति बहुत दी है। आकाशवाणी, दूरदर्शन, डीडी उर्दू दिल्ली के प्रोग्राम तो किए ही; कला-संस्कृति विभाग बिहार सरकार और पर्यटन विभाग बिहार सरकार के महोत्सवों में मैंने मंचीय प्रस्तुति दी है। हरिहरक्षेत्र महोत्सव सोनपुर, बौद्ध महोत्सव बोधगया, राजगीर महोत्सव, पावापुरी महोत्सव, मुंगेर महोत्सव, थावे महोत्सव, सहरसा महोत्सव आदि के यह सम्मान-प्रतीक चिह्न हैं। इस वर्ष बिहार दिवस पर भी मेरा गायन हुआ था। बिहार से बाहर अलीगढ़ में नुमाइश में जाकर अपनी प्रस्तुति दी है। आगरा में ताज महोत्सव में प्रस्तुति दी है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दो बार प्रोग्राम किया है। हमेशा मेरी कोशिश रहती है कि कुछ नया कर सकूं। अपने डिपार्टमेंट के, पुलिस एकेडमी के इवेंट्स में भी गाता हूं।”
अपनी ओर से कुछ बातें जरूर कहूंगा
बातचीत का यह सफर खत्म होने लगा तो उन्होंने अपनी ओर से भी प्रोफेशनल और आम आदमी के लिए कुछ बातें कहीं- मैं प्रोफेशनल दृष्टिकोण से कहीं कंप्रोमाइज नहीं करता हूं और न आप करें। प्रोफेशनल को 100 प्रतिशत देता हूं, आप भी दें। उस सौ प्रतिशत के बाद आपकी निजी जिंदगी को देने के लिए 100 प्रतिशत अलग से होता है। उसका सार्थक और सकारात्मक उपयोग कीजिए। संगीत एक ऐसा माध्यम है; जो धर्म-जाति, अमीर-गरीब के दायरे से दूर है। यह अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से भी परे है। संगीत तो समाज में प्रेम-भाईचारा, सामंजस्य और दोस्ती का पैगाम देता है। अपने अंदर के कलाकार को जिंदा करते हुए आप तमाम नकारात्मकता को हटा सकते हैं। हटाइए। क्योंकि, हमारी जीवनशैली तनाव से भरी है। उससे निकलेंगे, तभी जिंदगी मिलेगी।”

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