Bihar News : Bihar Police Investigation In Question After Jogsar Bhagalpur Liquor Case Accuse Relief – Amar Ujala Hindi News Live
पुलिस ने अब गढ़ी दूसरी कहानी
अब पुलिस के प्राथमिकी की गढ़ी हुई कहानी भी जानिये। पुलिस ने इस मामले को कांड संख्या 78/25 के तहत मामला दर्ज किया, जिसमें पुलिस ने अरुण कुमार भगत के बेसमेंट एरिया को घटनास्थल बताते हुए आर.के.लेन, कहार टोली निवासी लखन राम के पुत्र संजय राम को आरोपी बनाया। अब पुलिस ने प्राथमिकी में लिखा कि बीते 6 अप्रैल दिन रविवार की सुबह राजेश कुमार महतो अपने क्षेत्र में गश्ती कर रहे थे। इसी दौरान गुप्त सूचना मिली कि संजय राम अरुण भगत के घर के पास छुप-छुपाकर विदेशी शराब बेच रहा है। सूचना मिलते ही गश्ती कुमार महतो तुरंत उस जगह पर पहुंचे। वहां पहुंचते ही उन्होंने देखा कि एक युवक ब्लू और सफेद थैले में कुछ लेकर जा रहा था। पुलिस को देखते ही संजय राम भागने लगा। भागने के दौरान वह अरुण भगत के घर में प्रवेश कर गया। फिर सीढ़ी पर चढ़ते हुए हाथ में लिए बोरा को बेसमेंट में फेंकते हुए दीवाल से कूदकर भागने लगा। प्राथमिकी में राजेश कुमार महतो की दलील है कि हमारी पूरी की पूरी टीम उसको पकड़ने की कोशिश की लेकिन आरोपी अरुण भगत के घर में घुसने के बाद भी फरार हो गया। हालाँकि आरोपी के भागने के दौरान वहां दो शख्स बाहर निकले। पुलिस ने उनसे पूछताछ की तो पता चला कि वह घर के मालिक अरुण कुमार भगत और उनके साथ मोहम्मद रहमान अंसारी हैं। आरोपी के भागने के बाद पुलिस ने जांच पड़ताल की तब पता चला कि भागने वाला शख्स आर.के.लेन, कहार टोली निवासी लखन राम का पुत्र संजय राम है। पुलिस का कहना है कि संजय राम पर जोगसर थाने में ही शराब से संबंधित कई मामले दर्ज हैं। वह कई बार जेल भी जा चुका है।
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अब स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो की कहानी भी जानिये
स्टिंग ऑपरेशन घटना के 9वें दिन की है, जब असली आरोपी ने अपनी जुबानी पुरानी कहानी सुनाई। इस वीडियो में दो शख्स दिख रहे हैं, जिसमें ब्लू टी शर्ट पहना हुआ शख्स अरुण भगत है। उनके साथ एक और शख्स है जिसने कुरता पहन रखा है। अरुण भगत ने थानेदार और जांच अधिकारी को किस तरह और कितना रुपया दिया गया है, कितने की अब भी मांग जारी है, यह दस्तूरी वसूली की कहानी खुद बयां कर रहा है। अरुण भगत ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा है कि पुलिस ने मेरे घर के बेसमेंट से शराब जरुर बरामद किये, लेकिन किसी भी पेपर पर न तो मेरा हस्ताक्षर लिया है, न बयान लिया है, बस रुपया माँगा और हमने दिया।
थाना ने अब तक 55 हजार वसूल लिए, डीएसपी का भी लिया नाम
लगभग 5 मिनट और 3:35 मिनट के दो वीडियो में अरुण भगत यह कह रहे हैं कि गश्तीदल के अधिकारी, ड्राइवर व केस के अनुसंधानकर्ता ने उससे राहत के नाम पर 55 हज़ार रुपये ऐंठ लिए। इसको विस्तार रूप से बताते हुए उन्होंने कहा है कि अरुण भगत का कहना है कि थानेदार के कहने पर उन्होंने थाना के चालक को 35 हजार, चालक को तीन हजार और जांच अधिकारी को 17 हजार रुपया दे चुके हैं। हालांकि अनुसंधान अधिकारी अभी भी डीएसपी का मुंह बंद करने के लिए अतिरिक्त रुपये की मांग कर रहा है। उसका कहना है कि अनुसंधान अधिकारी का दवाब था कि जितना रुपया थानेदार को दिए हैं उतना मुझे भी दीजिये तब बात बनेगी। अरुण भगत वीडियो में कह रहे हैं कि जांच अधिकारी का दवाब है कि डीएसपी को भी देना है क्यों कि वह अड़ंगा लगा देंगे। इसमें मैं अपने कोटे से कुछ मिला दूंगा लेकिन आपको भी कुछ और देना पड़ेगा। डीएसपी को भी खुश करना पड़ेगा। फिलहाल अनुसंधान अधिकारी अब तक 17 हजार ले चुके हैं।
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अरुण भगत ने खुद सुनाई एक कहानी
अरुण भगत भी एक कहानी सुना रहा है। वह इस बात को स्वीकार करते हुए कह रहा है कि मेरे बेसमेंट में और कभी नाली के पास शराब कारोबारी कई बार शराब रख चुका है। अरुण भगत ने यह भी कहा कि सुबह में वह यहां शराब रखता है और दो तीन घंटे में उसे बेचकर माल (शराब) को खपा देता है। वह यह भी कह रहा है कि उसने उसे कई बार वहां से भगाया है, लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि इस बात की जानकारी उसने कभी स्थानीय पुलिस को नहीं दी। क्यों?

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