Bihar News : Navratri 2024 Durga Puja Begusarai Bakhri Purani Durga Asthan Tantra Mantra Sadhna Bali Pratha – Amar Ujala Hindi News Live

मंदिर प्रांगण में उमड़ी भीड़।
– फोटो : अमर उजाला
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बाहर से इस मंदिर का रूप बदला जा रहा है। शहरों की तरह पंडाल वाली सजावट दिख रही है। बनारस की तर्ज पर महाआरती कराई जा रही। लेकिन, इसके इस नए रूप की जगह भक्तों के मन में सदियों पुराना इसकी छवि विद्यमान है। 600 साल से तंत्र साधना के लिए बेगूसराय जिले के बखरी बाजार स्थित पुरानी दुर्गा स्थान में बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, नेपाल और बांग्लादेश से भी साधक आते रहे हैं। यह साधना नए रूप में भले न हो सके, लेकिन माना जाता है कि आज भी अपनी तांत्रिक शक्तियों को सिद्ध करने के लिए साधक महाअष्टमी की रात यहां महिषासुर का वध करतीं तमतमाए लाल चेहरे वाली माता भगवती देवी का दर्शन जरूर करते हैं। संतान प्राप्ति और गंभीर बीमारियों से राहत के लिए भी देवी का अष्टी (स्थान) पर महिला-पुरुष मन्नत मांगने आते हैं। इसके साथ ही यह बलि के लिए भी प्रसिद्ध है।
मनोकामना प्राप्ति के लिए आते हैं श्रद्धालु
बताया जाता है कि परमार वंश ने इस मंदिर की स्थापना की थी। तंत्र साधना और मन्नत प्राप्ति के लिए भगवती देवी का दर्शन करने के लिए यहां कई बार भक्तों की संख्या लाख भी पार कर जाती है। इस दुर्गा स्थान पर महाअष्टमी की रात देवी के महागौरी रूप की पूजा के बाद तंत्र साधकों के द्वारा तंत्र मंत्र की सिद्धि प्राप्त होती है। यह दुर्गा मंदिर तंत्र-मंत्र की सिद्धि और मनोकामना पूर्ति के लिए आसपास के राज्यों ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों में भी मशहूर है। यहां हर वर्ष दूर-दूर से साधक आते हैं, जिन्हें तंत्र-मंत्र की सिद्धि मिलती है। महाअष्टमी के दिन माता को छप्पन प्रकार का भोग लगाया जाता है। बखरी निवासी पंडित शशिकांत मिश्र कहते हैं- यहां मां भगवती लोगों की मनोकामना यथाशीघ्र पूरा करती हैं। खास तौर पर संतान प्राप्ति और रोग से मुक्ति के लिए श्रद्धालु आते हैं।
बनारस से टीम आकर कर रही महाआरती
पुरानी दुर्गा मंदिर शक्तिपीठ की महिमा निराली है। बनारसी अस्सी घाट से आए तरुण तिवारी ने बताया कि यहां पर पांच पंडितों की टीम दुर्गा महाआरती को संपन्न कराने पहुंची है। स्थानीय लोग सीधे कहते हैं कि आज के वैज्ञानिक युग में लोग मानें या नहीं, लेकिन यहां तंत्र-मंत्र की साधना हो रही है। महाअष्टमी के दिन साधक यहां तंत्र सिद्धि के लिए पहुंचते हैं। यहां की बहुरा मामा शाबर मंत्र साधिका थीं और मां दुर्गा की भक्त थीं। उस जमाने मे वह नारी शक्ति के रूप में सामने आई और उन्होंने महिलाओं की एक टीम बनाई। उनके द्वारा उस जमाने में स्कूल का संचालक किया जाता था। उनकी कई कहानियां मशहूर हैं। लोग बताते हैं कि जो भी लोग मां से मन्नत मांगते हैं, उनकी मन्नत पूरी होती है। खासकर जिन महिलाओं को संतान नहीं प्राप्त नहीं हो रहा, वह अगर मन से अष्टमी की रात आकर मन्नत मांगती हैं तो वह जरूर पूरी होती है।

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