Bihar News : People Wants Nitish Kumar Health Bulletin During Lok Sabha Election 2024 And Sushil Modi Death – Amar Ujala Hindi News Live

सीएम नीतीश कुमार के चेहरे और हावभाव को लेकर आम जनता भी चिंतित।
– फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन के दौरान मंगलवार को वाराणसी में दिग्गजों का जुटान हुआ। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं गए। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और अपने सबसे करीबी भाजपाई दिग्गज सुशील कुमार मोदी के निधन के बाद मंगलवार को पटना में राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि का आदेश दिया, मगर खुद नीतीश कुमार पटना में रहकर भी दीघा घाट नहीं गए। 16 वर्षों से हर साल 14 मई को अपनी दिवंगत पत्नी मंजू सिन्हा की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने के लिए पटना के कंकड़बाग स्थित पार्क में उनकी प्रतिमा स्थल तक जाने वाले नीतीश कुमार 17वीं पुण्यतिथि पर मंगलवार को नहीं गए। सवाल उठना स्वाभाविक था, तभी तबीयत खराब होने की एक पंक्ति की सरकारी विज्ञप्ति जारी हुई। लेकिन, इन तीन में से दो स्थानीय मौकों पर उनका नहीं जाना; उनकी पार्टी जनता दल यूनाईटेड के नेताओं को चिंता में डाल रहा है। बिहार की आम जनता भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो के दौरान मुख्यमंत्री की तस्वीरों को देखकर विचलित है। सवाल कर रही है कि कहीं ज्यादा मुश्किल में तो नहीं नीतीश कुमार? मांग उठ रही कि सीएम नीतीश कुमार का हेल्थ बुलेटिन जारी हो।
तब भाजपा कर रही थी हेल्थ बुलेटिन की मांग, अब चुप
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले जैसे न हैं, न दिख रहे हैं- यह बात पिछले करीब नौ महीने से फिज़ा में है। तब महागठबंधन की सरकार थी। जदयू की कमान तत्कालीन अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह संभाल रहे थे। तब भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार अजीब बयानों और अलग हरकतों के कारण खबरों में आने लगे थे। मंत्री अशोक चौधरी का सिर टकराने, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को तू-तड़ाक करने, मीडिया के सामने हाथ जोड़कर झुकने, विधानमंडल के दोनों सदनों में जनसंख्या नियंत्रण का फॉर्मूला बताने… जैसी कई घटनाओं के बाद भाजपा ने आरोप लगाया कि सीएम नीतीश कुमार के साथ साजिश रची जा रही है। उन्हें गलत दवा दी जा रही है। तत्कालीन विपक्षी दल भाजपा ने तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हेल्थ बुलेटिन की मांग की थी। 28 जनवरी को नीतीश कुमार वापस राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में आ गए और भाजपा की मांग यहीं खत्म हो गई। हालांकि, इसके बाद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी सहज नहीं दिखे। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के सामने मंच पर उनकी शान में कसीदे गढ़े तो भी अंदाज पर सवाल उठा। 400 सीटों की जगह 4000 लोकसभा सीटों पर जीत की बात कही, तब भी। चाणक्य स्कूल ऑफ पालिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा सीधे कहते हैं- “भाजपा को पहल करनी चाहिए, अगर सच में उनके साथ नीतीश कुमार को लेकर पार्टी को 28 जनवरी से पहले चिंता थी या अब है।”

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