Bihar Police: In Name Of Interrogation In Saharsa Police Tied Up And Beat Victim, Then Made Him Walk – Amar Ujala Hindi News Live

पीड़ित मो. मोसिम
– फोटो : अमर उजाला
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सहरसा जिले में पुलिस द्वारा पूछताछ के नाम पर एक पीड़ित को रस्सी से बांधकर पीटने का मामला सामने आया है। आरोप है कि पुलिस ने पीड़ित मो. मोसिम को पहले रस्सी से बांधकर बेरहमी से पीटा और फिर उसे जबरन चलने पर मजबूर किया। पीड़ित फिलहाल सदर अस्पताल में भर्ती है और उसका इलाज चल रहा है। यह घटना तीन लाख 60 हजार रुपये की लूट के बाद पूछताछ के दौरान घटी।
पीड़ित को अपराध कबूल करवाने की कोशिश करने का आरोप
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार की दोपहर सहरसा के भेरधरी स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के सीएसपी संचालक मो. हारून के ममेरे भाई मो. मोसिम से तीन लाख 60 हजार रुपये की लूट हो गई थी। तीन बाइक सवार अपराधियों ने हथियार के बल पर लूट की और भागते समय फायरिंग भी की। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और पीड़ित मोसिम को पूछताछ के लिए तिवारी टोला स्थित टीओपी वन पुलिस चौकी ले गई। बाद में उसे सदर थाना लाया गया, जहां पीड़ित का आरोप है कि पुलिस ने उसे प्रताड़ित किया।
पीड़ित मोसिम ने बताया कि पुलिस ने सदर थाने में पूछताछ के दौरान उसे एक कमरे में बंद कर दिया और फिर छत पर ले जाकर उसके पैर को रस्सी से बांधकर डंडों से पिटाई की। इस दौरान पुलिस उससे जबरन यह स्वीकार करवाने की कोशिश कर रही थी कि उसने खुद लूट की घटना को अंजाम दिलवाया है। पुलिस का तर्क था कि अपराधियों ने पीड़ित की बाइक और मोबाइल क्यों नहीं छीने, जिससे उन पर शक पैदा हुआ।
पुलिस पर पुरानी रंजिश का आरोप
सीएसपी संचालक मो. हारून ने बताया कि कुछ महीने पूर्व उनकी बाइक चोरी हो गई थी और उस घटना में पुलिस की लापरवाही के खिलाफ उन्होंने पुलिस अधीक्षक से शिकायत की थी। उसके बाद कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई थी। हारून का दावा है कि उसी रंजिश के कारण पुलिसकर्मियों ने इस लूट की घटना के बाद मोसिम के साथ मारपीट की।
पुलिस ने दी ये सफाई
पीड़ित का इलाज अस्पताल में हो रहा है और पुलिसकर्मी अब अपनी गलती स्वीकार कर रहे हैं। हारून के अनुसार, पुलिसकर्मी अस्पताल में आए और उनसे माफी मांगी, यह कहते हुए कि जो हुआ वह गलती से हुआ। पुलिस ने आगे ऐसा न होने का आश्वासन दिया। हालांकि, सदर एसडीपीओ आलोक कुमार ने इस मामले में मारपीट की घटना से इनकार किया है। उन्होंने बताया कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है। अस्पताल से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
न्याय की उम्मीद कम
पीड़ित और उसके परिवार को पुलिस की इस बर्बरता के कारण गहरा आघात पहुंचा है। पीड़ित ने आरोप लगाया कि एफआईआर दर्ज कराने के लिए उसे कई घंटों तक थाना में बैठाए रखा गया। लेकिन पुलिस ने आवेदन लेना भी उचित नहीं समझा। अंततः उसने पुलिस अधीक्षक को वाट्सएप के जरिए अपनी शिकायत भेजी। इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और लोग इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।

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